दर्द में जीना सीख लिया है
ग़म को पीना सीख लिया है
चाक गिरीबां कितना भी हो
सीना उसको सीख लिया है
दिया जहर जब अपनों ने
हंस कर पीना सीख लिया है
अपने पास तो ग़म की गठरी
जिसको ढोना सीख लिया है
कौन यहाँ किसका है भैया
तनहा जीना सीख लिया है
फ़ितरत की इस दुनिया में
सम्हल के चलना सीख लिया है
कृपया गलतिओं की तरफ़
अवश्य स्पष्ट संकेत करें
अज़ीज़ जौनपुरी
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