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Monday, March 11, 2013

अज़ीज़ जौनपुरी :अपना चेहरा देखो

               अपना चेहरा देखो 

              बारहां इलज़ाम मुझ पर लगाने वालों                                                                                                       धूल चेहरे का हटा, अपना चेहरा देखो 
  
              बा -  उसूल   खुद   को   बताने  वालों
              दो  कदम  उसूलों  पे  चल  कर  देखो 
               
              गर्द  तो  चेहरे   पर   ज़मी   है  उनके   
              औ, इलज़ाम आईने  पे लगाना  देखो 

               जिस्म तो  ख़ाक हो जायगा एक दिन 
               राहे- फकीरे-  इश्क पर चल कर देखो 
             
               गुरुरे-हुश्न का नशा कल उतर जायगा  
               आईने-दिल  में  जरा  झाँक  कर देखो 

               झूँठ तेरा  आज  बलंद हो चाहे कितना 
               कल जरा  झूँठ का चेहरा उतरना देखो 

              रंग  चेहरे  का उतर जायगा  पल भर में 
              अपने  दिल पर जरा हाथ रख कर देखो 

              आज कर लो तौबा अपनी हैवानियत से 
             जरा"अज़ीज़"की ऊँगली पकड़ कर देखो

                                                 अज़ीज़ जौनपुरी   
  
              
   

12 comments:

  1. जिस्म तो ख़ाक हो जायगा एक दिन
    राहे- फकीरे- इश्क पर चल कर देखो

    bashut shaandaar ghazal hai.

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  2. सुन्दर ग़ज़ल , आपका ब्लॉग रचनाये मिली क्या ?
    latest postअहम् का गुलाम (भाग तीन )
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  3. झूँठ तेरा आज बलंद हो चाहे कितना
    कल जरा झूँठ का चेहरा उतरना देखो ----bahut sahi

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  4. सुन्दर प्रस्तुति .पोस्ट दिल को छू गयी.कितने खुबसूरत जज्बात .बहुत खूब,

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  5. गर्द तो चेहरे पर ज़मी है उनके
    औ, इलज़ाम आईने पे लगाना देखो ..

    हर शेर हकीकत के आईने में बूथ के लिखा है ... बहुत ही लाजवाब गज़ल ...

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  6. बढ़िया
    उलाहना-चुनौती-नश्वरता-
    गजब आदरणीय -
    शुभकामनायें-

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  7. जिस्म तो ख़ाक हो जायगा एक दिन
    राहे- फकीरे- इश्क पर चल कर देखो,,,


    Recent post: होरी नही सुहाय,

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  8. ग़ज़ल के सभ अशआर बहुत बढ़िया लगे!

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  9. सुंदर प्रस्तुति।।।

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  10. सभी शेर बहुत उम्दा, दाद स्वीकारें.

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