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Saturday, August 10, 2013

अज़ीज़ जौनपुरी : चुरा गया कोई


  
         चुरा गया कोई 
 

 
    हंस-  हंस  के  ज़िन्दगी  को रुला गया कोई 
    बुलानी मौत थी , ज़िन्दगी  बुला गया कोई 

    भूख  से रो - रो  कर  मर  गया कोई   बच्चा 
    उम्र  भर  के  लिए  सिसकियाँ  दे गया कोई 

    जो  यादें  ख्वाबों के  साथ - साथ चलतीं थीं 
    उन  ख्वाबों  को   बेड़ियाँ  पहना  गया कोई 

    बड़ी  अज़ीब  दुनिया  है  न  समझ  सका मैं 
    नींद   के   साथ   रात   भी  चुरा   गया  कोई  

   वक्त  थोड़ा - थोड़ा  जब   मेहरबां  होने लगा 
   वक्त  का  रुख  मोड़   कर  चला  गया  कोई

   कसम खाते रहे  तमाम उम्र  साथ चलने की  
   बीच रास्ते  से  ही   उनको  फ़ुसला गया कोई 

  आज  आईं थी  वो  मेरे  घर  सुनाने  मुझको 
  आईना  दिखा  उनको  चुप  करा  गया  कोई 

                                          अज़ीज़ जौनपुरी 

    

  
 
                                           

12 comments:

  1. बहुत सुंदर.......ईद मुबारक

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  2. आज आईं थी वो मेरे घर सुनाने मुझको
    आईना दिखा उनको चुप करा गया कोई

    बेहतरीन से बेहतरीन एहसास

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  3. हंस- हंस के ज़िन्दगी को रुला गया कोई
    बुलानी मौत थी , ज़िन्दगी बुला गया कोई
    भूख से रो -रो कर मर गया कोई बच्चा
    उम्र भर के लिए सिसकियाँ दे गया कोई
    जो यादें ख्वाबों के साथ - साथ चलतीं थीं
    उन ख्वाबों को बेड़ियाँ पहना गया कोई
    बड़ी अज़ीब दुनिया है न समझ सका मैं
    नींद के साथ रात भी चुरा गया कोई
    वक्त थोड़ा - थोड़ा जब मेहरबां होने लगा
    वक्त का रुख मोड़ कर चला गया कोई
    कसम खाते रहे तमाम उम्र साथ चलने की
    बीच रास्ते से ही नको फ़ुसला गया कोई
    आज आईं थी वो मेरे घर सुनाने मुझको
    आईना दिखा उनको चुप करा गया कोई

    khoobshurat gazal,lazwab


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  4. वक्त थोड़ा-थोड़ा जब मेहरबां होने लगा
    वक्त का रुख मोड़ कर चला गया कोई,,,

    वाह !!! बहुत सुंदर उम्दा गजल ,,,

    RECENT POST : जिन्दगी.

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  5. बहुत ही सुन्दर रचना की प्रस्तुती,आभार।

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  6. बहुत खूब हुज़ूर :)

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  7. भूख से रो - रो कर मर गया कोई बच्चा
    उम्र भर के लिए सिसकियाँ दे गया कोई

    बहुत बढ़िया ग़ज़ल

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  8. बहुत बढ़िया ग़ज़ल ...

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