चुरा गया कोई
हंस- हंस के ज़िन्दगी को रुला गया कोई
बुलानी मौत थी , ज़िन्दगी बुला गया कोई
भूख से रो - रो कर मर गया कोई बच्चा
उम्र भर के लिए सिसकियाँ दे गया कोई
जो यादें ख्वाबों के साथ - साथ चलतीं थीं
उन ख्वाबों को बेड़ियाँ पहना गया कोई
बड़ी अज़ीब दुनिया है न समझ सका मैं
नींद के साथ रात भी चुरा गया कोई
वक्त थोड़ा - थोड़ा जब मेहरबां होने लगा
वक्त का रुख मोड़ कर चला गया कोई
कसम खाते रहे तमाम उम्र साथ चलने की
बीच रास्ते से ही उनको फ़ुसला गया कोई
आज आईं थी वो मेरे घर सुनाने मुझको
आईना दिखा उनको चुप करा गया कोई
अज़ीज़ जौनपुरी
बहुत सुंदर.......ईद मुबारक
ReplyDeleteआज आईं थी वो मेरे घर सुनाने मुझको
ReplyDeleteआईना दिखा उनको चुप करा गया कोई
बेहतरीन से बेहतरीन एहसास
बहुत सुंदर.......
ReplyDeleteहंस- हंस के ज़िन्दगी को रुला गया कोई
ReplyDeleteबुलानी मौत थी , ज़िन्दगी बुला गया कोई
भूख से रो -रो कर मर गया कोई बच्चा
उम्र भर के लिए सिसकियाँ दे गया कोई
जो यादें ख्वाबों के साथ - साथ चलतीं थीं
उन ख्वाबों को बेड़ियाँ पहना गया कोई
बड़ी अज़ीब दुनिया है न समझ सका मैं
नींद के साथ रात भी चुरा गया कोई
वक्त थोड़ा - थोड़ा जब मेहरबां होने लगा
वक्त का रुख मोड़ कर चला गया कोई
कसम खाते रहे तमाम उम्र साथ चलने की
बीच रास्ते से ही नको फ़ुसला गया कोई
आज आईं थी वो मेरे घर सुनाने मुझको
आईना दिखा उनको चुप करा गया कोई
khoobshurat gazal,lazwab
लाजवाब ग़ज़ल सुन्दर अभिव्यक्ति !
ReplyDeletelatest post नेताजी सुनिए !!!
latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!
वक्त थोड़ा-थोड़ा जब मेहरबां होने लगा
ReplyDeleteवक्त का रुख मोड़ कर चला गया कोई,,,
वाह !!! बहुत सुंदर उम्दा गजल ,,,
RECENT POST : जिन्दगी.
बहुत ही सुन्दर रचना की प्रस्तुती,आभार।
ReplyDeleteबहुत खूब हुज़ूर :)
ReplyDeletesundar rachna ..
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ReplyDeleteभूख से रो - रो कर मर गया कोई बच्चा
उम्र भर के लिए सिसकियाँ दे गया कोई
बहुत बढ़िया ग़ज़ल
बहुत बढ़िया ग़ज़ल ...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ग़जल
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