ये ईद मुबारक हो
सारी दुनियाँ को मुबारक हो रमज़ान का महीना
अल्लाह की इबादत हो, हो खुशिओं का ये महीना
ऐ ख्वाज़ा सलीम चिश्ती तू दुआओं से हाथ भर दे
तू दुनियाँ पे करम कर दे, ले ख्वाबों का मदीना
घर -घर में उज़ाला हो , अल्लाह ही रखवाला हो
हर घर में नमाज़ी हों , हो गुलनार ये महीना
हर दिल में तबस्सुम हो, हो हर होट पे तब्बसुम
काशी से काबा तक , दिखे खुशिओं का नगीना
सहरी हों खुशियाँ हों , इफ्तार हो, इबादत हो
अल्लाह के बन्दें हों , हो तरावीह का महीना
क़ायम रहे मज़हब , इंसानियत हो मज़हब
हर दिल में हो मक्का , हो हर दिल में मदीना
आफ़ताबे - मोहब्बत हो , मोहब्बत का चाँद हो
ईद हो , हसरत हो , हो खुशिओं का ये महीना
घर - घर में चाँद उतरे , घर - घर में उज़ाला हो
हो खुशबू भरीं फज़ाएँ , हो दुआओं का ये महीना
बन ईद खुशबू अये , सावन की घटाओं में
मासूम मोहब्बत हो , हो मोहब्बत का ये महीना
हर शख्स की आवाज़ से नमाज़ों की खुशबू आये
फ़लक पे चाँद उतरे दीद हो हो खुशिओं का ये महीना
अज़ीज़ जौनपुरी
ईद मुबारक आपको भी सपरिवार |रचना बहुत शानदार |
ReplyDeleteआशा
सामाजिक सौहार्द्र एवम समरसता की प्रेरणा से ओतप्रोत बेहतरीन ग़ज़ल
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteआपके खुबसूरत ख्याल के साथ मुबारक हो ईद
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर.......ईद मुबारक
ReplyDeletewaah bahut khub ...id kii shubhkamanayen
ReplyDeleteईद मुबारक ...बहुत सुंदर , आपकी इस उत्कृष्ट रचना की प्रविष्टि कल रविवार ब्लॉग प्रसारण http://blogprasaran.blogspot.in/ पर भी .. कृपया पधारें
ReplyDeleteअज़ीज़ साहब काश ज़िन्दगी आपकी इस गजल सी सुन्दर शुभ भावनाओं से भरी हो। बेहद की सार्थक प्रस्तुति दुआएं ही दुआएं।
ReplyDeleteईद मुबारक
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