सूरज की रौशनी
रौशनी की तलाश में रौशनी की आँखे चली गईं
दोस्ती दुश्मनी से निकाह करती है
रौशनी पाबन्द है सारी दुनियाँ एक अंधेर नगरी है
पत्थरों से आँखों की दोस्ती अखरती है
अज़ीज़ जौनपुरी
वो जो रौशनी अंधेरों को रास्ता दिखाती है
अब उजालों की तलाश करती है
रोशन हो न सके चिराग़ उनकी महफ़िल में
रौशनी घिसट-घिसट के पाँव रखती है
देखा जब उनकी महफ़िल में ज़िन्दगी का भाव
मौत से भी सस्ती वहाँ बिकती है
कौन कहता है आकाश में सुराख़ हो नहीं सकता
वो तो सुराखों की बस्ती सी लगती है
रौशनी की तलाश में रौशनी की आँखे चली गईं
दोस्ती दुश्मनी से निकाह करती है
रौशनी पाबन्द है सारी दुनियाँ एक अंधेर नगरी है
पत्थरों से आँखों की दोस्ती अखरती है
अज़ीज़ जौनपुरी
आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति बुधवारीय चर्चा मंच पर ।।
ReplyDeletePl change the color of print-
ख़ूबसूरत ..
ReplyDeleteसार्थक व्यंग्य और वास्तववादी चित्रण।
ReplyDeletebehatareen gazal,देखा जब उनकी महफ़िल में ज़िन्दगी का भाव मौत से भी सस्ती वहाँ बिकती है कौन कहता है आकाश में सुराख़ हो नहीं सकता वो तो सुराखों की बस्ती सी लगती है रौशनी की तलाश में रौशनी की आँखे चली गईं दोस्ती दुश्मनी से निकाह करती है रौशनी पाबन्द है सारी दुनियाँ एक अंधेर नगरी है पत्थरों से आँखों की दोस्ती अखरती है
ReplyDeleteरौशनी की तलाश में रौशनी की आँखे चली गईं
ReplyDeleteदोस्ती दुश्मनी से निकाह करती है
बहुत उम्दा अशआर हैं सब मायने भी अव्वल हैं।
रौशनी की तलाश में रौशनी की आँखे चली गईं
दोस्ती दुश्मनी से निकाह करती है
(आँखें )
देखा जब उनकी महफ़िल में ज़िन्दगी का भाव
ReplyDeleteमौत से भी सस्ती वहाँ बिकती है ---
गजब सोच ,बेहतरीन ग़ज़ल
latest post: भ्रष्टाचार और अपराध पोषित भारत!!
latest post,नेताजी कहीन है।
यही हाल हो रहा है हर जगह आजकल...
ReplyDeleteअच्छी रचना!
~सादर!!!
उम्दा ... सभी शेर नई बात कहते हैं ...
ReplyDeleteवाह !!1 सभी शेर लाजबाब लगे ,,,बधाई जी,,,
ReplyDeleteRECENT POST : तस्वीर नही बदली
अज़ीज़ साहब काश ज़िन्दगी आपकी इस गजल सी सुन्दर शुभ भावनाओं से भरी हो। बेहद की सार्थक प्रस्तुति दुआएं ही दुआएं।
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