पलकों तले एक दिल धड़कता है
ये दिल ही जानता है कौन चलता है इन पलकों तले
यकीं आ जायेगा तुमको , ये अपने दिल से पूंछ लेना तुम
मुन्तज़िर बैठे हैं कि माहताब उभरे फ़लक से मेरे पास आये
कब महकेगी फ़स्ल -ए -गुल, ये अपने दिल से पूंछ लेना तुम
मेहफ़िल-ए-हस्ती में सख्त बीराँ हैं गमे-दिल तू कहाँ है आज़
कहाँ सो गई गुलों के नर्म बिस्तर पे अपने दिल से पूछ लेना तुम
ज़िन्दगी नवाज़िश है उसी की जो मेरी दिल की दहलीज़ पे बैठा है
पलकों तले कौन पढ़ रहा है नमाज़ अपने दिल से पूंछ लेना तुम
अज़ीज़ जौनपुरी
मेरे पलकों तले एक दिल धड़कता है ख़ुद से पूंछ लेना तुम
मेरी पलकों पे अपने होंट रख, उन्हीं से पूंछ लेना तुम ये दिल ही जानता है कौन चलता है इन पलकों तले
यकीं आ जायेगा तुमको , ये अपने दिल से पूंछ लेना तुम
मुन्तज़िर बैठे हैं कि माहताब उभरे फ़लक से मेरे पास आये
कब महकेगी फ़स्ल -ए -गुल, ये अपने दिल से पूंछ लेना तुम
मेहफ़िल-ए-हस्ती में सख्त बीराँ हैं गमे-दिल तू कहाँ है आज़
कहाँ सो गई गुलों के नर्म बिस्तर पे अपने दिल से पूछ लेना तुम
ज़िन्दगी नवाज़िश है उसी की जो मेरी दिल की दहलीज़ पे बैठा है
पलकों तले कौन पढ़ रहा है नमाज़ अपने दिल से पूंछ लेना तुम
अज़ीज़ जौनपुरी
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