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Wednesday, July 24, 2013

अज़ीज़ जौनपुरी : बहुत रुलाया है

       बहुत रुलाया है


 मेरो  खतों  को  फाड़  के तुमने मुझको बहुत रूलाया है
 नींद   चुराई    रातों    की    सुबह  -  शाम   तड़पाया है

  हाथ पकड़  कर चूम लिया था भर कर अपनी बाँहों में
 हाथ  छुड़ाकर  तुमने  अपना  मुझको  बहुत  रुलाया है

 दिल में मेरे महक रही है तेरे खतों  की खुशबू अब तक
 मेरे खतों की खुशबू  उड़ाकर  तुमने  मुझको भुलाया है

 कभी  हसाना  कभी  रुलाना  ये  आदत  तेरी  प्यरी थी
 भूला के तुमने  हँसना- हँसाना मुझको बहुत सताया है

 बड़े  प्यार से  सुख-दुख मेरे,तुम मुझसे पूछा करती थी
 आज   भुला  कर  मुझको  तुमने  भूखे  पेट  सुलाया है

 तेरी  किस्मत  मेरी  किस्मत  दोनों  किस्मत एकी थी
 किस्मत अपनी कर मुझसे जुदा तुमने बहुत रुलाया है

 

                                                    अज़ीज़ जौनपुरी


10 comments:

  1. बहुत बढिया

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  2. हाथ पकड़ कर चूम लिया था भर कर अपनी बाँहों में
    हाथ छुड़ाकर तुमने अपना मुझको बहुत रुलाया है

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  3. बेहद सम्बेदंशील गजल ,
    हाथ पकड़ कर चूम लिया था भर कर अपनी बाँहों में
    हाथ छुड़ाकर तुमने अपना मुझको बहुत रुलाया है

    दिल में मेरे महक रही है तेरे खतों की खुशबू अब तक
    मेरे खतों की खुशबू उड़ाकर तुमने मुझको भुलाया है

    कभी हसाना कभी रुलाना ये आदत तेरी प्यरी थी
    भूला के तुमने हँसना- हँसाना मुझको बहुत सताया है

    बड़े प्यार से सुख-दुख मेरे,तुम मुझसे पूछा करती थी
    आज भुला कर मुझको तुमने भूखे पेट सुलाया है

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  4. हाथ पकड़ कर चूम लिया था भर कर अपनी बाँहों में
    हाथ छुड़ाकर तुमने अपना मुझको बहुत रुलाया है

    हसीनों की अदा ही निराली होती है ... बहुत उम्दा ...

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  5. मेरो खतों को फाड़ के तुमने मुझको बहुत रूलाया है
    नींद चुराई रातों की सुबह - शाम तड़पाया है

    हाथ पकड़ कर चूम लिया था भर कर अपनी बाँहों में
    हाथ छुड़ाकर तुमने अपना मुझको बहुत रुलाया है

    दिल में मेरे महक रही है तेरे खतों की खुशबू अब तक
    मेरे खतों की खुशबू उड़ाकर तुमने मुझको भुलाया है(खुश्बू)

    कभी हसाना कभी रुलाना ये आदत तेरी प्यरी थी(प्यारी )
    भूला के तुमने हँसना- हँसाना मुझको बहुत सताया है(भुला )

    बड़े प्यार से सुख-दुख मेरे,तुम मुझसे पूछा करती थी
    आज भुला कर मुझको तुमने भूखे पेट सुलाया है

    तेरी किस्मत मेरी किस्मत दोनों किस्मत एकी थी(एक ही थीं )/एकही थी
    किस्मत अपनी कर मुझसे जुदा तुमने बहुत रुलाया है

    प्रेम में अनंत बिम्ब समेटे हैं आपकी अनवरत रचनाएँ .

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  6. सुन्दर प्रस्तुति

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  7. दिल में मेरे महक रही है तेरे खतों की खुशबू अब तक
    मेरे खतों की खुशबू उड़ाकर तुमने मुझको भुलाया है

    कभी हसाना कभी रुलाना ये आदत तेरी प्यरी थी
    भूला के तुमने हँसना- हँसाना मुझको बहुत सताया है

    बहुत बढ़िया गज़ल

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  8. बड़े प्यार से सुख-दुख मेरे,तुम मुझसे पूछा करती थी
    आज भुला कर मुझको तुमने भूखे पेट सुलाया है

    भई वाह ..

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