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Tuesday, June 11, 2013

अज़ीज़ जौनपुरी : कब किसकी गर्दन काटेगा

     

       कब किसकी गर्दन काटेगा



     कल  गुरुकुल की कला   वीथिका रक्त रंजित हो गई 
    गुरु- शिष्य  की  सदिओं  पुरानी मर्यादा खंडित हो गई 

    मेरे  ही  अनुज  बन्धु  ने  कर दिये  रिश्तों के तार -तार 
    हमारी  सदिओं पुरानी परम्परा आज  शर्मशार  हो गई 
 
    मर्यादा  का  चीर  हर  गई,  आदर्शों  की  चिता जल गई 
    आज  गुरुओं   पे फ़िर कितनी उगलीं एक साथ उठ गई  

    अकबारों में होड़  थी  जिसने जो चाही  खबर उड़ा दिया 
    असली  तस्बीर  गुम   हो  गई  नकली शुर्खी में आ गई 

    टी.  आर. पी . का खेल  सभी  टी. वी  चैनेल  खेल रहे थे
    जिसने जो  लिख दिया वही खबर कहाँ से  कहाँ उड़  गई 

   अज़ीज़ तू भी तो द्रोणाचार्य है कब गर्दन किसकी काटेगा 
   गुरुओं की परम्परा की नाक आज   कितनी बार कट गई

   ये   नेकनामी   और   बदनामी   की   अज़ीब   दुनिया है
   जो ख़बर  सफ़े पर आनी  वो    अब   हासिए पर आ गई 

                                                 अज़ीज़ जौनपुरी 
   

  








    गुरु द्रोण के अँगुली कटवाई ,

   

19 comments:

  1. सार्थक रचना

    आज का वक्त ही ऐसा है,कोई क्या करे
    बदलाव की जरुरत है,कोई कैसे पहल करे ||

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  2. waaaaaaah waaaaaaaaaaaah bhot khub bdi anmol bat ki hai aapne

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  3. .सराहनीय प्रस्तुति आभार जो बोया वही काट रहे आडवानी आप भी दें अपना मत सूरज पंचोली दंड के भागी .नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN

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  4. वाह लाजवाब रचना |

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  5. सुन्दर प्रस्तुति ,"आज हवा में चीख रहीं हैं हज़ार खामोसियाँ ,सुलग रहीं हैं फजाओं में अनगिनत सांसे रिस्तो के गुलाब बाज़ार में नीलाम हो गये"

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बुधवार (12-06-2013) को बुधवारीय चर्चा --- अनवरत चलती यह यात्रा बारिश के रंगों में "मयंक का कोना" पर भी है!
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  7. सच बात! आपको साधुवाद!

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  8. उम्दा प्रस्तुति..

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  9. मर्यादा का चीर हर गई, आदर्शों की चिता जल गई
    आज गुरुओं पे फ़िर कितनी उगलीं एक साथ उठ गई

    aaina dikhati rachna .aabhar

    हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

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  10. मिडिया की फालतुगिरी और चैनलों का टी.आर.पी. के पीछे भागना अपना कर्तव्य भूल जाना बता देता है, आपने सीधे उन पर आघात किया है। मिडिया सस्ती प्रसिद्धी और बेवजह की खबरें चलाने में व्यस्त है। यह स्थिति अपने पैर पर कुल्हाडी मारने जैसा है। बेवजह की खबरें जनता को सच से बहका रही है, लोकतंत्र के साथ धोका भी कर रही है और अपनी विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न भी लगा रही है। आपकी कविता ने सही भावों को पकडा है।

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  11. बहुत सुन्दर

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  12. बहुत सुन्दर

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  13. बहुत बुरा समय है ..

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  14. वाक़ई , नाक़ाबिले बर्दाश्त घटना ।

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  15. अज़ीज़ तू भी तो द्रोणाचार्य है कब गर्दन किसकी काटेगा
    गुरुओं की परम्परा की नाक आज कितनी बार कट गई.---
    अनजाने में शायद द्रोणाचार्य ने ही परंपरा को तोडा एकलब्य का अंगूठा लेकर -आज भी वही हो रहा है .

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  16. सच लिख दिया आज का ...
    लगातार नाक कट राही है आज ...

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  17. उम्दा प्रस्तुति..

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