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Monday, June 10, 2013

अज़ीज़ जौनपुरी : अज़ीब लड़की है

            
              अज़ीब लड़की है  


        बड़ी  अज़ीब  लड़की  है,  ख़ुद  से  रोज़ लड़ती है 
        आग रख के अपने सीने पे  रोज-रोज मलती है

        आईनों से दुश्मनी  का  उसका  पुराना रिश्ता है 
        तोड़   आईनों  को  रोज़   टुकड़ों  में  बिखरती है 

       शोलों से खेलने का उसका अज़ीब शौक तो देखो
       पाँव आग़ पे रख़  वो  हँस- हँस के ऱोज चलती है 
        
       जंगलों  में  गूँज रहीं  हैं उसकी  अनगिनत चीखें 
      आग़ पलकों पे  सज़ा  हँस- हँस के रोज जलती है

      एक हादसे में माँ उसको छोड़  दुनिया चल -बसी
      उसी  की  याद में वो जल-जल के रोज़  बुझती है
      
      अजीब  दुनियाँ  है उसकी,  बड़ी अजीब  लड़की है
      घूम- घूम सारी दुनियाँ में  माँ  की तलास करती है

                                                   अज़ीज़ जौनपुरी 


       
     
       
        

12 comments:

  1. आपकी यह रचना कल मंगलवार (11 -06-2013) को ब्लॉग प्रसारण के "विशेष रचना कोना" पर लिंक की गई है कृपया पधारें.

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  2. अजीब दुनियाँ है उसकी, बड़ी अजीब लड़की है
    घूम- घूम सारी दुनियाँ में माँ की तलास करती है

    khubsurat aihasaas sang rishton ka tilasm

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  3. शोलों से खेलने का उसका अज़ीब शौक तो देखो
    पाँव आग़ पे रख़ वो हँस- हँस के ऱोज चलती है
    kya bat hai waaaaaaaaaah bhot khub waaaaaaaaah

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  4. शोलों से खेलने का उसका अज़ीब शौक तो देखो
    पाँव आग़ पे रख़ वो हँस- हँस के ऱोज चलती है
    himmat vali hai .sundar abhivyakti .

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  5. किसी बेटी के आंसू है ,तड़पते दिल के शोले हैं ,चलो चले उसे अपनी बेटी बना लें धधक रहे हैं बेटी के दिल में माँ की यादों के आज शोले हैं ,बहुत ही भाउक रचना

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  6. कोई तो आकर, मुझे बताये, देखो मां ऎसी होती है ?
    जगह जगह मैं रहा भटकता, बोलो मां कैसी होती है

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  7. अजीब दुनियाँ है उसकी ,बड़ी अजीब लड़की है
    घूम-घूम सारी दुनियाँ में माँ की तलास करती है,,,,

    बहुत सुंदर गजल ,,क्या बात है ,,

    recent post : मैनें अपने कल को देखा,

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  8. बहुत सुंदर गजल.....भाउक रचना

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  9. आईनों से दुश्मनी का उसका पुराना रिश्ता है
    तोड़ आईनों को रोज़ टुकड़ों में बिखरती है ...

    lajwaab gazal ... sajjit sheron se bani ...

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  10. हाँ जी सच में अजीब लड़की है , और लड़की ही क्यूँ हर कोई जिसका कोई गुम हो गया हो तलाश तो रहती ही है .............बहुत सुन्दर रचना

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  11. अजीब दुनियाँ है उसकी, बड़ी अजीब लड़की है
    घूम- घूम सारी दुनियाँ में माँ की तलास करती है

    ...बहुत उम्दा और मर्मस्पर्शी रचना...

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