यार भी सितमगर से मिले हैं
उनको तो सितमगर भी मिले यार से मिले
हमको तो जो यार मिले, सितमगर से मिले हैं
है सच अभी कुम्हलाये नहीं उनके होठों के गुलाब
हमको तो सूखे फूल वो भी किताबों में मिले हैं
है सच अभी कुम्हलाये नहीं उनके होठों के गुलाब
हमको तो सूखे फूल वो भी किताबों में मिले हैं
ज़ज्बात के ओठों पे फूल काटों के खिले हैं
कहीं आफ़ताबे- नज़र है, कहीं ज़ज्बात सिले है
कुछ तो फ़ना हो गए गमे इश्क की दरिया में
कुछ को तो रकीबों में कई यार मिले हैं
है तेज बहुत धूप मगर कहीं कोई सायबां नहीं
ख्वाब के पहलू में जैसे अरमान सिले हैं
हैं महफ़िल में उनके बिखरी अनवर सी चाँदनी
हमको तो उनसे कभी न रहे सिकवे -गिले हैं
अज़ीज़ जौनपुरी
ख्वाब के पहलू में जैसे अरमान सिले हैं
हैं महफ़िल में उनके बिखरी अनवर सी चाँदनी
हमको तो उनसे कभी न रहे सिकवे -गिले हैं
अज़ीज़ जौनपुरी
अज़ीज़ जौनपुरी
waaaaah waaaaaah kya kaheni waaaaaaaaah
ReplyDeleteज़ज्बात के ओठों पे फूल काटों के खिले हैं
कहीं आफ़ताबे- नज़र है, कहीं ज़ज्बात सिले है
bhot khub waaaah
बहुत खूब लाजवाब
ReplyDeleteहै तेज बहुत धूप मगर कहीं कोई सायबां नहीं
ख्वाब के पहलू में जैसे अरमान सिले हैं
उत्तम
ReplyDeleteटिप्पणीं कर रहीं हैं या कंजूसी की हद ,या लिखना ही भूल गईं ?
Deleteथाेड़े से बात बन जाए ताे विस्तृत वर्णन क्याें?
Deleteउत्तम
Deleteहै सच कि कुम्हलाने लगे हैं उनके होठों के गुलाब
ReplyDeleteहमको तो सूखे फूल वो भी किताबों में मिले हैं
very nice
क्या बात है " ज़ुल्मों -सितम की आग में जब जलती है जिंदगी,रुखसत के वक्त कफ़न से बेबस झांकती है जिंदगी,सहारा के तपती रेत पर जब-जब जलती है जिंदगी ,रुखसत के वक्त कंधें पे बैठ कानो से कुछ कहती है जिंदगी ,बेहतरीन गजल
ReplyDeleteहै सच अभी कुम्हलाये नहीं उनके होठों के गुलाब
ReplyDeleteहमको तो सूखे फूल वो भी किताबों में मिले हैं,,,
वाह वाह बहुत सुंदर गजल ,,,बधाई जी,,,
recent post : मैनें अपने कल को देखा,
है सच अभी कुम्हलाये नहीं उनके होठों के गुलाब
ReplyDeleteहमको तो सूखे फूल वो भी किताबों में मिले हैं
.....वाह! बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...हरेक शेर दिल को छू जाता है...
कुछ तो फ़ना हो गए गमे इश्क की दरिया में
ReplyDeleteकुछ को तो रकीबों में कई यार मिले हैं ..
उनको देख के यारों का रकीब होना लाजमी है ... लाजवाब शेर हैं सभी ...
बेहतरीन गज़ल...
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