कभी गीता तो कभी कूरान हुई गज़ल
एक -एक हर्फ़ मेरा ईमान हुई गज़ल
आईने - फर्ज़ को जब -जब देखा मैंने
कभी राम तो कभी रहमान हुई गज़ल
उसने जब- जब गुनगुनायी मेरी गज़ल
कभी ख़ुदा तो कभी भगवान हुई गज़ल
करीब से उनकीं आखों में जब-जब देखा
जश्ने -ईद के चाँद का चेहरा हुई गज़ल
जब किसी बेवा के माथे पे सिकन देखा
अश्के -खूँ बन आँखों से गिर गई गज़ल
देख कर दुनियाँ की आज रंगें फ़ितरत
बारहां तडप-तड़प के बेवा हो गई गज़ल
अज़ीज़ जौनपुरी
kya bat hai waaaaaaaaaah gazal ke har pahelu ko bariki se ujagr kiya hai waaaaaaaaaah khub
ReplyDeleteबहुत उम्दा...!
ReplyDeleteबहुत उम्दा ग़ज़ल!
ReplyDeletelatest post बादल तु जल्दी आना रे (भाग २)
अनुभूति : विविधा -2
बहुत बढिया गजल आदरणीय......
ReplyDeleteउसने जब- जब गुनगुनायी मेरी गज़ल
ReplyDeleteकभी ख़ुदा तो कभी भगवान हुई गज़ल ..
ये प्रेम की हद है ... जो उन्हें ऐसा मुकाम दे देती है ... बहुत खूब शेर ..
देख कर दुनियाँ की आज रंगें फ़ितरत
ReplyDeleteबारहां तडप-तड़प के बेवा हो गई गज़ल.
बहुत उम्दा ग़ज़ल!
बहुत बढ़िया बेहतरीन ग़ज़ल सुंदर प्रस्तुति !!
ReplyDeleteबहुत बढ़िया अजीज sir
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (03-06-2013) के :चर्चा मंच 1264 पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
सूचनार्थ |
बहुत-बहुत सुंदर ....
ReplyDeleteबेहतरीन
ReplyDeleteउसने जब- जब गुनगुनायी मेरी गज़ल
ReplyDeleteकभी ख़ुदा तो कभी भगवान हुई गज़ल ..वाह!!!क्या बात है
बहुत सुंदर बेहतरीन गजल ,,,
recent post : ऐसी गजल गाता नही,
जब किसी बेवा के माथे पे सिकन देखा
ReplyDeleteअश्के -खूँ बन आँखों से गिर गई गज़ल
...वाह! बहुत उम्दा ग़ज़ल...
करीब से उनकीं आखों में जब-जब देखा
ReplyDeleteजश्ने -ईद के चाँद का चेहरा हुई गज़ल
जब किसी बेवा के माथे पे सिकन देखा
अश्के -खूँ बन आँखों से गिर गई गज़ल
बेहतरीन !!
ReplyDeleteआईने - फर्ज़ को जब -जब देखा मैंने
ReplyDeleteकभी राम तो कभी रहमान हुई गज़ल
सर इतनी बेहतरीन प्रस्तुति के लिए शुक्रिया....
कभी गीता तो कभी कूरान हुई गज़ल
ReplyDeleteएक -एक हर्फ़ मेरा ईमान हुई गज़ल
AAPANE PURI KAAYANAT KO SAMET DIYA