ख़ुदा का नाम लूं, तेरा नाम निकले , तेर नाम लिखूं , ख़ुदा का नाम दिखे
तू ख़ुदा में है और ख़ुदा तुझमे है , ख़ुदा का दिल देखूं तेरा दिल दिखे
अपनी लिखूँ, उसकी लिखूँ, तेरी लिखूँ , पर जो भी लिखूँ अपना सा दिखे
ये दस्ते- कलम जो दिल पे टिकी है, खुदा की तस्बीर बनाये तेरी तस्बीर दिखे
कोई हमारा न हुआ, न सही, न हुआ, वो ख़ुदा का हुआ, क्यों अपना सा दिखे
वरना इस दुनिया में क्या नहीं होता,गर तूँ खफ़ा हे तो ख़ुदा खफ़ा-खफ़ा सा दिखे
तुझे मालूम कि मैं ख़फ़ा नहीं होता जब तू ,मेरे पास है तो, दूसरा कैसे दिखेवरना इस दुनिया में क्या नहीं होता,गर तूँ खफ़ा हे तो ख़ुदा खफ़ा-खफ़ा सा दिखे
रूह उसकी है,दामन मेरा ,वो सनम है, मगर मुझे वो ख़ुदा- ख़ुदा सा दिखे
अज़ीज़ "जौनपुरी"
ख़ुदा का नाम लूं, तेरा नाम निकले , तेर नाम लिखूं ,ख़ुदा का नाम दिखे
ReplyDeleteतू ख़ुदा में है या ख़ुदा तुझमे है ,ख़ुदा का दिल देखूं तेरा दिल दिखे
bahut sundar
लाजवाब रचना |
ReplyDeleteसुंदर भाव,माशाल्लाह ।
ReplyDelete
ReplyDeleteबढ़िया -
शुभकामनायें
तुझे मालूम कि मैं ख़फ़ा नहीं होती जब तू ,मेरे पास है तो, दूसरा क्यों लिखूँ
ReplyDeleteरूह उसकी है,दामन मेरा ,वो सनम है, मगर मुझे वो ख़ुदा- ख़ुदा सा दिखे
...बहुत खूब! बहुत उम्दा प्रस्तुति...
बहुत खूब ..
ReplyDeleteशुभकामनायें !
कोई हमारा न हुआ, न सही, न हुआ, वो खुदा का हुआ, क्यों अपना सा दिखे
ReplyDeleteवरना इस दुनिया में क्या नहीं होता,गर तूँ खफा हे तो खुदा खफा-खफा सा दिखे
अजीज बहुत ही सुंदर और आत्मिक रचना है।
कोई देखूँ आँख ,मुझे लगता जैसे नज़रें तेरी हैं ,
ReplyDeleteलगता है जैसे दुनिया में सारी तस्वीरें तेरी है ,
कोई स्वर सुनती हूं ,तेरे स्वर का धोखा हो जाता है !
सनम या खुदा....
ReplyDeleteप्यार की सुन्दर अभिव्यक्ति..
तुझे मालूम कि मैं ख़फ़ा नहीं होता जब तू ,मेरे पास है तो, दूसरा कैसे दिखे
ReplyDeleteरूह उसकी है,दामन मेरा ,वो सनम है, मगर मुझे वो ख़ुदा- ख़ुदा सा दिखे
............बहुत सुन्दर