गज़ल
फ़कत प्यार ही नहीं, अब तलवार भी होगी गज़ल
वक्त की छाती पर हुंकार भी होगी गज़ल
जिन ग़रीबों का जहाँ में है दूर तक कोई नहीं
उन ग़रीबों के लिये घर- बार भी होगी गज़ल
जिस मुल्क का रहनुमा भू-माफ़िया का सरगना हो
एक दिन उस मुल्क की, दीवार भी होगी गज़ल
आसमां चादर है जिनकी और बिस्तर है ज़मी
उन फकीरों के लिए किरदार भी होगी गज़ल
आसमां चादर है जिनकी और बिस्तर है ज़मी
उन फकीरों के लिए किरदार भी होगी गज़ल
वहशी हवावों की हवस में जब रही हों बस्तियाँ
उम्मीदे - रोशनी की पतवार भी होगी गज़ल
जब उठ रहें हों सर यजीदी शहरे- इमा की तरफ़
जब उठ रहें हों सर यजीदी शहरे- इमा की तरफ़
ज़ुल्म के उस दौर में हथियार भी होगी गज़ल
अज़ीज़ जौनपुरी
अज़ीज़ जौनपुरी
आसमां चादर है जिनकी और बिस्तर है ज़मी
ReplyDeleteउन फकीरों के लिए किरदार भी होगी गज़लbahut khoob ......
बेहतरीन ग़ज़ल !!
ReplyDeleteआसमां चादर है जिनकी और बिस्तर है ज़मी
ReplyDeleteउन फकीरों के लिए किरदार भी होगी गज़ल--
सभी शेर लाजवाब हैं
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बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन ग़ज़ल की रचना.
ReplyDeleteसुन्दर गजल,"कभी खंजर ,कभी मंजर ,कभी तलबगार भी होगी गजल,आज के इस दौर में,वफादार भी होगी गजल ......"
ReplyDeleteबहुत खूब ,***कभी फंसीं का फंदा ,कभी गले का हर भी होगी गजल बेशर्म चेहरों के लिए दुधारी तलवार भी होगी गजल
ReplyDeleteबहुत खूब
ReplyDeleteBehtreen gazal aadarniya..... saadar badhai !
ReplyDeleteलाजवाब !!!
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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waaaah waaaah bhot khub.........aapne gazal ko kirdar bna diya bilkul nai soch hai aapki bhot khub....kya bat hai bhot khub...gazal kya kya ho sakti hai tro taza gazal likhkhi hai aapne
ReplyDeleteगजल का हर अशआर आस लिए शुभ परिवर्तन की काश ऐसा ही हो जाए .ॐ शान्ति
ReplyDeleteजिस मुल्क का रहनुमा भू-माफ़िया का सरगना हो
ReplyDeleteएक दिन उस मुल्क की ,दीवार भी होगी गज़ल,,,
वाह!!!बहुत बेहतरीन सुंदर गजल के लिए ,,,बधाई स्वीकारे
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बहुत बढिया
ReplyDeleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ग़ज़ल ........
ReplyDeleteअब तलवार भी बननी चाहिए...
ReplyDeleteसुंदर गज़ल