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Friday, May 24, 2013

अज़ीज़ जैनपुरी : गज़ल

   

            गज़ल

     फ़कत प्यार  ही नहीं, अब तलवार भी होगी गज़ल
     वक्त  की  छाती   पर   हुंकार   भी   होगी   गज़ल 

      जिन  ग़रीबों  का  जहाँ   में  है  दूर तक  कोई नहीं
     उन  ग़रीबों  के  लिये  घर- बार  भी   होगी  गज़ल   
  
     जिस मुल्क का रहनुमा भू-माफ़िया का सरगना हो
     एक  दिन उस  मुल्क की,  दीवार  भी  होगी गज़ल

      आसमां  चादर  है  जिनकी  और   बिस्तर  है ज़मी
      उन  फकीरों  के  लिए  किरदार  भी   होगी  गज़ल

     वहशी  हवावों की  हवस  में जब  रही  हों  बस्तियाँ
     उम्मीदे  - रोशनी   की   पतवार    भी  होगी गज़ल

     जब उठ  रहें  हों  सर यजीदी  शहरे- इमा  की तरफ़
     ज़ुल्म   के  उस  दौर  में  हथियार  भी  होगी गज़ल

                                               अज़ीज़ जौनपुरी
    


















   

16 comments:

  1. आसमां चादर है जिनकी और बिस्तर है ज़मी
    उन फकीरों के लिए किरदार भी होगी गज़लbahut khoob ......

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  2. बेहतरीन ग़ज़ल !!

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  3. आसमां चादर है जिनकी और बिस्तर है ज़मी
    उन फकीरों के लिए किरदार भी होगी गज़ल--
    सभी शेर लाजवाब हैं

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  4. बहुत ही सुन्दर और बेहतरीन ग़ज़ल की रचना.

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  5. सुन्दर गजल,"कभी खंजर ,कभी मंजर ,कभी तलबगार भी होगी गजल,आज के इस दौर में,वफादार भी होगी गजल ......"

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  6. बहुत खूब ,***कभी फंसीं का फंदा ,कभी गले का हर भी होगी गजल बेशर्म चेहरों के लिए दुधारी तलवार भी होगी गजल

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  7. लाजवाब !!!

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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  8. waaaah waaaah bhot khub.........aapne gazal ko kirdar bna diya bilkul nai soch hai aapki bhot khub....kya bat hai bhot khub...gazal kya kya ho sakti hai tro taza gazal likhkhi hai aapne

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  9. गजल का हर अशआर आस लिए शुभ परिवर्तन की काश ऐसा ही हो जाए .ॐ शान्ति

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  10. जिस मुल्क का रहनुमा भू-माफ़िया का सरगना हो
    एक दिन उस मुल्क की ,दीवार भी होगी गज़ल,,,

    वाह!!!बहुत बेहतरीन सुंदर गजल के लिए ,,,बधाई स्वीकारे

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  11. बहुत सुन्दर ग़ज़ल ........

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  12. अब तलवार भी बननी चाहिए...
    सुंदर गज़ल

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