अहसास का बंजर होगा
निगाहें शौक़े - वफ़ा का यही मंजर होगा
फूल से सजे बिस्तर में छुपा खंजर होगा
देख ज़ज्बात पे तिलस्मे- हुश्न की बेड़ियाँ
ज़ज्बात के चेहरे पे,अहसास का बंजर होगा
साफ नीयत है ,डर फ़िक्रे -अंजाम की क्या
कत्ल के ज़ुर्म का कैदी कल का सिकंदर होगा
कुफ़्ल असीरी --बंद ताला
ख़ुश्क होठों पे तिश्नगी नमी सहरा माँगें
चौधवीं की रात है , उफ़नता समंदर होगा
न कट सकीं बेड़ियाँ , न कुफ़्ल असीरी टूटा
मातमे - अश्के- खूं , दिल के अन्दर होगा साफ नीयत है ,डर फ़िक्रे -अंजाम की क्या
कत्ल के ज़ुर्म का कैदी कल का सिकंदर होगा
कुफ़्ल असीरी --बंद ताला
अज़ीज़ जौनपुरी
बहुत खूब ,
ReplyDeleteजौनपुरी जी.
रचना की भागीदारी के लिए धन्यवाद.
अयंगर.
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल !
ReplyDeletelatest post: बादल तू जल्दी आना रे!
latest postअनुभूति : विविधा
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल,बहुत खूब.बधाई।
ReplyDeleteखूबशूरत गजल ,"कैसे -कैसे रंज तुझको नामुरादी ने दिए ,हाय तू दिनिया में आया था इसी दिन के लिए" (चकबस्त )निगाहें शौक़े - वफ़ा का यही मंजर होगा ,फूल से सजे बिस्तर में छुपा खंजर होगा,देख ज़ज्बात पे तिलस्मे- हुश्न की बेड़ियाँ ,ज़ज्बात के चेहरे पे,अहसास का बंजर होगा,ख़ुश्क होठों पे तिश्नगी नमी सहरा माँगें ,चौधवीं की रात है , उफ़नता समंदर होगा ,न कट सकीं बेड़ियाँ , न कुफ्ल असीरी टूटामातमे - अश्के- खूं , दिल के अन्दर होगा
ReplyDeleteख़ुश्क होठों पे तिश्नगी नमी सहरा माँगें
ReplyDeleteचौधवीं की रात है , उफ़नता समंदर होगा
बहुत खूब ... लाजवाब शेर है इस गज़ल का ... यूं तो पूरी गज़ल खोऊब्सूरत है ...
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल,बधाइयाँ.क्या आप मुझे rajendra651@gmail.co पर मेल करेंगे,आपसे कुछ वार्ता करनी है.
ReplyDeleterajendra651@gmail.com
Deletesure sir,
ReplyDeleteThis comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteशुभम
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (27-05-2013) के :चर्चा मंच 1257: पर ,अपनी प्रतिक्रिया के लिए पधारें
सूचनार्थ |
लाजवाब प्रस्तुति
ReplyDeleteआभार साझा किया आपने
सादर
बहुत खुबसूरत ग़ज़ल !!
ReplyDeleteसाफ नीयत है ,डर फ़िक्रे -अंजाम की क्या
ReplyDeleteकत्ल के ज़ुर्म का कैदी कल का सिकंदर होगा,,,,
बहुत बेहतरीन सुंदर रचना,,,
RECENT POST : बेटियाँ,
लाजबाब ...उम्दा
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा आपने गहन अभिव्यक्ति विचारों की | साधू |
ReplyDeleteकभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
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साफ नीयत है ,डर फ़िक्रे -अंजाम की क्या
ReplyDeleteकत्ल के ज़ुर्म का कैदी कल का सिकंदर होगा
लाजवाब शेर.
साफ नीयत है ,डर फ़िक्रे -अंजाम की क्या
ReplyDeleteकत्ल के ज़ुर्म का कैदी कल का सिकंदर होगा
बहुत बढ़िया ग़ज़ल
न कट सकीं बेड़ियाँ , न कुफ़्ल असीरी टूटा
ReplyDeleteमातमे - अश्के- खूं , दिल के अन्दर होगा
बहुत खूब अजीज जी, लाजवाब गजल दिल को भा गई। आपका बहुत-बहुत धन्यवाद इतनी खूबसूरत नज्म लिखने के लिए
लाजबाब ग़ज़ल ..पढकर आनंद आया और बहुत कुछ सीखने को मिला ..आपके ब्लॉग से जुड रहा हूँ ताकी हर रचना का लिंक डेश बोर्ड पर तुरंत मिल सके ..आप भी मेरे ब्लॉग से जुडेंगे तो मुझे बेहद खुसी होगी ..सादर
ReplyDeleteमतले के इस शेर ने ही जान ले ली ...
ReplyDeleteबहुत कमाल ... उम्दा ...
khoobsurat gazal....
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