जिश्म की बेपर्दगी
जिश्म की बेपर्दगी में
लिपटी कालिमा को देखिए
आईना है सच कहेगा
ख़ुद को दिखा कर देखिए
छल कपट धोखाधड़ी
भूल कर भी मत कीजिए हवाओं को खबर है जो हो गई
उस खबर को मत किसी से पूछिए
है एक गुजारिस दोस्तों से बारहां
मत काम ऐसा कोई कीजिए
जिश्म की आवारगी पर
चाबुक लगा जीने की कोशिस कीजिए
नक्काबों पर लगा कर लाख नक्काबें
जीने की आदत छोड़िए
जिस दिन होगी गवाही ख़ुदा के सामने
उस दिन की भी जरा सोच कर तो देखिए
अज़ीज़ "जौनपुरी"
सुन्दर रचना !!
ReplyDeleteजिश्म की आवारगी पर
ReplyDeleteचाबुक लगा जीने की कोशिस कीजिए
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति.
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल शुक्रवार (24-05-2013) के गर्मी अपने पूरे यौवन पर है...चर्चा मंच-अंकः१२५४ पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बेहद गंभीर और आज के परिप्रेक्ष्य में सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteउत्तम प्रस्तुति
ReplyDeleteबहुत अच्छी अभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteशुभप्रभात
ReplyDeleteअच्छी अच्छी सीख के लिए आभार
शुभदिन की शुभकामनायें
सादर
'नक्काबों पर लगा कर लाख नक्काबें
ReplyDeleteजीने की आदत छोड़िए
जिस दिन होगी गवाही ख़ुदा के सामने
उस दिन की भी जरा सोच कर तो देखिए.'
-यही सोच लें इन्सान तो क्या बात है.
जिस दिन होगी गवाही ख़ुदा के सामने
ReplyDeleteउस दिन की भी जरा सोच कर तो देखिए
yahi to sara labbo luaab hai ..sundar rachna ...
है एक गुजारिस दोस्तों से बारहां
ReplyDeleteमत काम ऐसा कोई कीजिए
जिश्म की आवारगी पर
चाबुक लगा जीने की कोशिस कीजिए
अज़ीज़ साहब बहुत खूब ,बेबाक कहा है जो कहा है सच कहा है ,देखे देख पाए वो जिसकी आत्मा जीवित हो मृत प्राय:
मुर्दार न हुई हो .मर तो सकती नहीं न ...
(जिस्म ,बारहा ,गुजारिश ,कोशिश ,नकाबों ,नकाबें ,...)
namaskar ajij sir
ReplyDeletebahut khub
बहुत सुन्दर .....
ReplyDeleteनक्काबों पर लगा कर लाख नक्काबें
ReplyDeleteजीने की आदत छोड़िए ......सही कहा आपने
जिश्म की बेपर्दगी में
ReplyDeleteलिपटी कालिमा को देखिए
आईना है सच कहेगा
ख़ुद को दिखा कर देखिए ..
बहुत खूब ... आइना तो सच कहता है हमेशा ...