ख़ुद को कातिल बताता रहा
जख्म पर जख्म खाता रहा
गम हंस - हंस उठाता रहा
थी किराए पे ली ज़िन्दगी
फ़िर भी मै मुस्कुराता रहा
उधारी पर लेकर कर कफ़न
लाश को खुद ही मैं उढाता रहा
आईना था तो उनको दिखाना
मैं ख़ुद को ही दिखाता रहा
था नमक हाथ में ले वो आया
समझ, मरहम लगाता रहा
हाथ में ले अपने मैं खंज़र
हंस , ख़ुद पर चलाता रहा
कातिल तो था कोई और
मैं ख़ुद को कातिल बताता रहा
अजीज़ 'जौनपुरी"
आईना था तो उनको दिखाना
ReplyDeleteमैं ख़ुद को ही दिखाता रहा
था नमक हाथ में ले वो आया
समझ, मरहम लगाता रहा
वाह वाह !!
खूबसूरत अभिव्यक्ति
उम्दा गजल
प्यार पर सबकुछ कुर्बान,बेहतरीन ग़ज़ल की प्रस्तुति.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति !
ReplyDeleteडैश बोर्ड पर पाता हूँ आपकी रचना, अनुशरण कर ब्लॉग को
अनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
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था नमक हाथ में ले वो आया
ReplyDeleteसमझ, मरहम लगाता रहा ..
बहुत खूब .. क्या शेर बुना है ... लाजवाब भाव हैं ...
सुन्दर पंक्तियाँ:
ReplyDeleteथा नमक हाथ में ले वो आया
समझ, मरहम लगाता रहा
बढियां प्रस्तुति!
-अभिजित (Reflections)
yu to poori gazal lazvab hai kya bat hai bhot khub
ReplyDeletepr ye sher
आईना था तो उनको दिखाना
मैं ख़ुद को ही दिखाता रहा
behtrin hai aaine pe to sr dundh ne jao to hjaro shr milenge mgar ye sher sabse alag hai,shandar hai
बहुत सुन्दरजख्म पर जख्म खाता रहा
ReplyDeleteगम हंस - हंस उठाता रहा
थी किराए पे ली ज़िन्दगी
फ़िर भी मै मुस्कुराता रहा
उधारी पर लेकर कर कफ़न
लाश को खुद ही मैं उढाता रहा
आईना था तो उनको दिखाना
मैं ख़ुद को ही दिखाता रहा
था नमक हाथ में ले वो आया
समझ, मरहम लगाता रहा
हाथ में ले अपने मैं खंज़र
हंस , ख़ुद पर चलाता रहा
कातिल तो था कोई और
मैं ख़ुद को कातिल बताता रहा
लाजवाब शायरी
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर! लाजवाब! बेहतरीन!
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ReplyDeleteहाथ में ले अपने मैं खंज़र
हंस , ख़ुद पर चलाता रहा
कातिल तो था कोई और
मैं ख़ुद को कातिल बताता रहा
ये दर्द भी कभी कभी हमारे हिस्से हम खुद लिख जाते हैं
कातिल तो था कोई और
ReplyDeleteमैं ख़ुद को कातिल बताता रहा ........बहुत खूब
हाथ में ले अपने मैं खंज़र
ReplyDeleteहंस , ख़ुद पर चलाता रहा
कातिल तो था कोई और
मैं ख़ुद को कातिल बताता रहा
शुक्रिया आपकी ताज़ा टिपण्णी का .
बढ़िया विस्तारित जानकारी के लिए आभार भी बधाई भी .
शानदार अशआर चोट खाए फूंके हुए अशार
कहता है फूंक फूंक गजलें ,शायर दुनिया का जला हुआ ....
आंसू सूखा कहकहा हुआ ,आंसू सूखा कहकहा हुआ .
कबीले तारीफ़ ..बेहद अफ़सोस है इतने दिन इतक इतने शायर से रूबरू होने का मौका क्यों नहीं मिया.चर्चा मंच को धन्यवाद
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