खिलखिला तो रहीं होंगी
वो चाँदनी रात में अकेली तड़प तो रहीं होंगी
कभी छत पे तो कभी दरीचे में टहल तो रहीं होगी
आग सीने में छुपा वो रह -रह सुबक तो रहीं होगी
कभी छत पे तो कभी दरीचे में टहल तो रहीं होगी
आग सीने में छुपा वो रह -रह सुबक तो रहीं होगी
हो निढाल बिस्तर पे रह-रह वो तड़प तो रही होगी
नाम ले -ले के मेरा वो खामोश रो तो रहीं होगी
सुन मेरे न आने की ख़बर वो सर पटक तो रहीं होगी
बन शमा स्याह रातों में वो जल-बुझ तो रहीं होंगी
हो वर्फ़ की चादर सी सफ़ेद वो पिघल तो रहीं होगी
सर्द रातों में लिपट तकिये से वो तड़प तो रहीं होगी
कर नींद का बहाना वो करवटें बदल तो रहीं होगी
सुन मेरे न आने की ख़बर वो सर पटक तो रहीं होगी
बन शमा स्याह रातों में वो जल-बुझ तो रहीं होंगी
हो वर्फ़ की चादर सी सफ़ेद वो पिघल तो रहीं होगी
सर्द रातों में लिपट तकिये से वो तड़प तो रहीं होगी
कर नींद का बहाना वो करवटें बदल तो रहीं होगी
बारहां चाह कर भी वो कुछ न कह सकीं होगी
हाथ माथे पे रख-रख वो कुछ बुदबुदा तो रहीं होगी
सुन मेरे आने की खबर वो मुस्कुरा तो रहीं होगी
पा मुझको वो गुलमोहर सी खिलखिला तो रही होगी
अज़ीज़ जौनपुरी
बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति ..आभार . बाबूजी शुभ स्वप्न किसी से कहियो मत ...[..एक लघु कथा ] साथ ही जानिए संपत्ति के अधिकार का इतिहास संपत्ति का अधिकार -3महिलाओं के लिए अनोखी शुरुआत आज ही जुड़ेंWOMAN ABOUT MAN
ReplyDeleteबहुत खूब ,या यूँ कह लें " न पा मुझे वो छटपटा तो रहें होगें ,कभी छत से तो कभी दरीचे से वो झांक तो रहें होंगें.....?
ReplyDeletewaaah gazab ki kalpna ....
ReplyDeleteसर्द रातों में लिपट तकिये से वो तड़प तो रहीं होगी
ReplyDeleteकर नींद का बहाना वो करवटें बदल तो रहीं होगी,,
,
लाजबाब, बहुत सुंदर प्यारी गजल ,,
Recent post: जनता सबक सिखायेगी...
बहुत ही सुन्दर भावों की अभिव्यक्ति ...
ReplyDeleteबढ़िया तसव्वुरात का बढ़िया भाव चित्र ....
ReplyDeleteसर्द रातों में लिपट तकिये से वो तड़प तो रहीं होगी
ReplyDeleteकर नींद का बहाना वो करवटें बदल तो रहीं होगी
बहुत ही सुन्दर,उत्कृष्ट प्रस्तुति.आपकी हर ग़ज़ल ही लाजबाब होती हैं.
सुंदर भावाव्यक्ति
ReplyDeleteकल्पना की खूबशूरत भावपूर्ण उड़न
ReplyDeleteसुंदर
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रागात्मक बढ़िया प्रस्तुति .
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत ...
ReplyDeleteबधाई आपको !