Pages

Thursday, April 11, 2013

अज़ीज़ जौनपुरी :जात कुजात अज़ीज़ की

           जात कुजात अज़ीज़ की 


           जात  कुजात  अज़ीज़  की  मत  पूछों तुम जात 
           देख   कबीरा   हँस   कहा   मिली   मुझे  सौगात 

          तू  भी  काफ़िर  मैं  भी काफ़िर काफ़िर मेरी बात 
          रोते-  रोते   उमर  बीत  गई   सुबह  हुई  ना रात 

          कलयुग   में   पैदा   हुआ   है   कलयुग  की  बात 
         डर -डर मत जीना अज़ीज़ लिखना तुम सच बात 

         मरना तो है सभी को मर जा तू लिख अपनी बात
         दुनियाँ  गर  पागल कहे  तू  दर  किनार कर बात 

         नहीं  बसो  अब  काशी में  तू  कह मगहर की बात 
         कबिरा तेरे साथ है लिख मर जा तू कबीर की बात 

        मंदिर मस्ज़िद कभी न जाना लिखना दिल की बात 
       मगहर में मुझसे मिलना सुनले "अज़ीज़" मेरी बात  

                                                      अज़ीज़ जौनपुरी  
 

10 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज शुक्रवार (12-04-2013) के समंदर में सू-सू करने से सुनामी नहीं आती ; चर्चा मंच 1212
    (मयंक का कोना)
    पर भी होगी!
    नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
    सूचनार्थ...सादर!

    ReplyDelete
  2. बेहतरीन अज़ीज़ साहब ****,डर -डर मत जीना अज़ीज़ तुम लिखना दिल की बात ,मैं भी तेरे साथ हूँ घर भी तेरे साथ ,सदर

    ReplyDelete
  3. अर्थपूर्ण पंक्तियाँ

    ReplyDelete
  4. बहुत बढ़िया ...

    ReplyDelete
  5. जात कुजात अज़ीज़ की मत पूछों तुम जात
    देख कबीरा हँस कहा मिली मुझे सौगात
    बहुत खूब अज़ीज़ साहब .

    ReplyDelete
  6. सराहनीय अभिव्यक्ति आभार नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें नरेन्द्र से नारीन्द्र तक .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1

    ReplyDelete
  7. पिछली टिप्पणी में लिखा था आपके पदों में कबीर की वाणी झलकती है अब मै कहूं कि अजीज जी देखो कबीर पधारे मेरे घर। जबरदस्त लेखन की क्षमता, आप लिखिए, ताकत के साथ लिखिए। जमान बदल गया है पर कबीर की जरूरत आज भी है। आगे जाकर कहूं कि कबीर जमाने से भी हमारे जामने को कबीर वाणी की ज्यादा जरूरत है। हो सकता है अजीज हमारी आपकी प्रत्यक्ष मुलाकात कभी होगी कबीर को पाने का आनंद भी तभी प्राप्त हो सकता है।

    ReplyDelete
  8. अजीज sir कि अजीज रचना के लिए बधाई
    http://guzarish66.blogspot.in/2013/04/1.html

    ReplyDelete
  9. सच कहा है विजय जी ने लगता है कबीर के पद पढ़ रही हूँ.....
    बधाई इस सार्थक रचना के लिए...

    ReplyDelete