जात कुजात अज़ीज़ की
जात कुजात अज़ीज़ की मत पूछों तुम जात
देख कबीरा हँस कहा मिली मुझे सौगात
तू भी काफ़िर मैं भी काफ़िर काफ़िर मेरी बात
रोते- रोते उमर बीत गई सुबह हुई ना रात
कलयुग में पैदा हुआ है कलयुग की बात
डर -डर मत जीना अज़ीज़ लिखना तुम सच बात
मरना तो है सभी को मर जा तू लिख अपनी बात
दुनियाँ गर पागल कहे तू दर किनार कर बात
नहीं बसो अब काशी में तू कह मगहर की बात
कबिरा तेरे साथ है लिख मर जा तू कबीर की बात
मंदिर मस्ज़िद कभी न जाना लिखना दिल की बात
मगहर में मुझसे मिलना सुनले "अज़ीज़" मेरी बात
अज़ीज़ जौनपुरी
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज शुक्रवार (12-04-2013) के समंदर में सू-सू करने से सुनामी नहीं आती ; चर्चा मंच 1212
(मयंक का कोना) पर भी होगी!
नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
सूचनार्थ...सादर!
बेहतरीन अज़ीज़ साहब ****,डर -डर मत जीना अज़ीज़ तुम लिखना दिल की बात ,मैं भी तेरे साथ हूँ घर भी तेरे साथ ,सदर
ReplyDeleteअर्थपूर्ण पंक्तियाँ
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ...
ReplyDeleteजात कुजात अज़ीज़ की मत पूछों तुम जात
ReplyDeleteदेख कबीरा हँस कहा मिली मुझे सौगात
बहुत खूब अज़ीज़ साहब .
सुन्दर प्रस्तुति !!
ReplyDeleteनव संवत्सर की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनायें !!
सराहनीय अभिव्यक्ति आभार नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें नरेन्द्र से नारीन्द्र तक .महिला ब्लोगर्स के लिए एक नयी सौगात आज ही जुड़ें WOMAN ABOUT MANजाने संविधान में कैसे है संपत्ति का अधिकार-1
ReplyDeleteपिछली टिप्पणी में लिखा था आपके पदों में कबीर की वाणी झलकती है अब मै कहूं कि अजीज जी देखो कबीर पधारे मेरे घर। जबरदस्त लेखन की क्षमता, आप लिखिए, ताकत के साथ लिखिए। जमान बदल गया है पर कबीर की जरूरत आज भी है। आगे जाकर कहूं कि कबीर जमाने से भी हमारे जामने को कबीर वाणी की ज्यादा जरूरत है। हो सकता है अजीज हमारी आपकी प्रत्यक्ष मुलाकात कभी होगी कबीर को पाने का आनंद भी तभी प्राप्त हो सकता है।
ReplyDeleteअजीज sir कि अजीज रचना के लिए बधाई
ReplyDeletehttp://guzarish66.blogspot.in/2013/04/1.html
सच कहा है विजय जी ने लगता है कबीर के पद पढ़ रही हूँ.....
ReplyDeleteबधाई इस सार्थक रचना के लिए...