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Friday, April 12, 2013

अज़ीज़ जौनपुरी :जलती हैं बेटियाँ

             जलती हैं बेटियाँ 

       
         एक  चीख  सी  उठती  है  मंदिर की दीवारों से 
         जब   घर  के   आगन  में   जलती  हैं  बेटियाँ 

          एक  शोर सा होता है मस्ज़िद की मिनारों से 
          जब   ज़ुल्म  की   तहरीर   बनती  हैं  बेटियाँ 

          एक  आह  सी  उठती  है  संतों की  मजारों से 
          जब   बेटिओं  के ख़ाक पे  सिकती  हैं रोटियाँ 
  
          एक सैलाब  सा उठता है दरिया के किनारों से 
          जब  शमशान की छाती पे बिछती हैं गोटियाँ 

          एक  तूफ़ान  सा  उठता  है  ख़ामोश बहारों में 
          जब  आग  के हवाले अपनी  होती  हैं  बेटियाँ 

          "अज़ीज़"तू भी पोत ले मुह पे अपने कालिख 
           तू  भी  तमासा  देखता  है जब जलती बेटियाँ 
       
              
         
                                           अज़ीज़ जौनपुरी  
          
       
      

10 comments:

  1. Very Very good Anil.

    bharat

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  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज शनिवार (13-04-2013) के रंग बिरंगी खट्टी मीठी चर्चा-चर्चा मंच 1213
    (मयंक का कोना)
    पर भी होगी!
    बैशाखी और नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
    सूचनार्थ...सादर!

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  3. वाह अजीज sir बहुत ही मार्मिक गजल
    ''नवरात्र ''भाग 1

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  4. बहुत ही भावपूर्ण मार्मिक ग़ज़ल की प्रस्तुतीकरण.

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  5. अज़ीज़ साहब बेहतरीन
    एक चीख सी उठती है मंदिर की दीवारों से
    जब घर के आगन में जलती हैं बेटियाँ

    एक शोर सा होता है मस्ज़िद की मिनारों से
    जब ज़ुल्म की तहरीर बनती हैं बेटियाँ

    एक आह सी उठती है संतों की मजारों से
    जब बेटिओं के ख़ाक पे सिकती हैं रोटियाँ

    एक सैलाब सा उठता है दरिया के किनारों से
    जब शमशान की छाती पे बिछती हैं गोटियाँ

    एक तूफ़ान सा उठता है ख़ामोश बहारों में
    जब आग के हवाले अपनी होती हैं बेटियाँ

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  6. दिल को छू गयी आपकी ये रचना.......
    ~सादर!!!

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  7. सही कहा है आप ने अज़ीज़ साहब ,दरिन्दे जब बेटिओं
    को आग के हवाले करते हैं दिल करता है दरिंदों के बोटी -बोटी कर दूँ ,खून खौलने लगता है

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  8. आज के माहौल को केंद्रित करती सुंदर गज़ल.

    नवरात्रि और नवसंवत्सर की अनेकानेक शुभकामनाएँ.

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  9. सच यह है किसिर्फट अपनी बेटियाँ ,बेटियाँ लगती हैं ,और पराई बेटियाँ तमाशा!

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