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Wednesday, April 10, 2013

अज़ीज़ जौनपुरी : धोखे से उसका नाम

        धोखे से उसका नाम 



     धोखे से  उसका  नाम मेरे होठों  पे आ गया 
     सच   जिंदगी  का   मेरे  सरे  आम  हो गया  

     अफ़साने   जो   राज़   थे    मेरी   हयात के
     अफ़सोस  ,उसका  चेहरा बदनाम हो  गया 

     दुनियाँ  खड़ी  थी  बीच  में  दीवार की तरह 
     दुनियाँ में उस नाख़ुदा का भी नाम हो गया 

      बरसों  से  अंधेरों  में  कोइ  चीख  रहा था 
     क्या सोच के चला था क्या अंजाम हो गया 

     एक सांस उम्मीदों की जो आख़िरी बची थी 
     उस  सांस  का  आखिरी इम्तिहान हो गया 

     उधर,  उनके   चेहरे  से   नकाब   क्या उठा  
     इधर"अज़ीज़"का भी काम तमाम हो गया 

                                  अज़ीज़ जौनपुरी 

    

7 comments:

  1. धोखे से ही सही नाम जुबां पर तो आया,बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल की प्रस्तुती.

    "जानिये: माइग्रेन के कारण और निवारण"

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  2. This comment has been removed by the author.

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  3. waaaah waaaah hr aek sher bhetrin huva hai ......poori gazal bhetrin...aaaah

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  4. सुन्दर प्रस्तुति-
    शुभकामनायें-

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  5. बहुत सुन्दर प्रस्तुति !
    LATEST POSTसपना और तुम

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    साझा करने के लिए आभार!

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  7. प्रेम रस से भरी शायरी। अपने आप होठों पर उसका नाम आना और जिसको दबा कर रखा था उसका इजहार होना, प्रेम से लबालब भरे दिल को दिखाता है। और जब लबालब भरना है तब बहना आ ही गया।
    drvtshinde.blogspot.com

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