अज़ीज़ साहब बीमार हो गये
रस्मों -रिवाज़ तोड़ कर गुनाहगार हो गये
निकले थे घर से डूबने, मगर पर हो गये
निकले थे घर से डूबने, मगर पर हो गये
जिस दिन से उनके हुस्न के दीदार हो गए
उस दिन से अज़ीज़ साहब बीमार हो गए
वो जब से खफ़ा है कुछ ज़्यादा खफ़ा है
समझा था जिन्हें साहिल मझधार हो गए रस्ते में मिले थे बच कर निकल गए
गुनहगार थे जो कल के किरदार हो गए
तस्वीर उनकी देखी तो खामोश हो गए
रस्ते मेरे हयात के कुछ दुश्वार हो गए
अज़ीज़ साहब तो बीमार थे कुछ पहले से
आज दुनिया से जाने के लिए तैयार हो गये
अज़ीज़ जौनपुरी
जिस दिन से उनके हुस्न के दीदार हो गए
ReplyDeleteउस दिन से अज़ीज़ साहब वीमार हो गए.
अज़ीज़ साहब की लंबी उम्र हो.
सुंदर प्रस्तुति.
मस्त प्रस्तुति ,बिंदास अंदाज़ रस्मों -रिवाज़ तोड़ कर गुनाहगार हो गये
ReplyDeleteनिकले थे घर से डूबने, मगर पर हो गये
जिस दिन से उनके हुस्न के दीदार हो गए
उस दिन से अज़ीज़ साहब वीमार हो गए
वो जब से खफ़ा है कुछ ज़्यादा खफ़ा है
समझा था जिन्हें साहिल मझधार हो गए
रस्ते में मिले थे बच कर निकल गए
गुनहगार थे जो कल के किरदार हो गए
तस्वीर उनकी देखी तो खामोश हो गए
रस्ते मेरे हयात के कुछ दुश्वार हो गए
प्रस्तुति सुंदर है पर निराशा के दीदार हो रहे हैं...
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति,लम्बी उम्र की दुआ.
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ReplyDeleteरस्ते में मिले थे बच कर निकल गए
गुनहगार थे जो कल के किरदार हो गए
Vaah kya baat kahi hai ... Lajawab sher ....
बहुत खूब लिखा है आपने. कुछ वर्तनी की अशुद्धियाँ हैं, सुधार लें.
ReplyDeleteKAVYA SUDHA (काव्य सुधा): सपने और रोटियां
जिस दिन से उनके हुस्न के दीदार हो गए
ReplyDeleteउस दिन से अज़ीज़ साहब वीमार हो गए
ये मर्जे इश्क है ही ऐसा .
गुनहगार थे जो कल के किरदार हो गए
ReplyDeletebahut sunder prastuti.