Pages

Sunday, April 14, 2013

अज़ीज़ जौनपुरी : कर पृथक श्रृंगार आना

    
               कर पृथक श्रृंगार आना 


        तुम   प्रणय  की   वीथिका  में  कर  पृथक  श्रृंगार आना 
        बक्ष  में  ले  प्यार का तुम  कोमल  मनोरम  भाव आना 

       वासना  की   कामना  से   कर   स्वयम   को  मुक्त तुम 
       धवल पावन  परिधान में, बन  उन्मुक्त मेरा प्यार आना 

       उर मध्य मेरे  तीक्ष्ण  नख से  प्यार  की प्रतिमा बनाना 
       नाम  अपना  प्यार लिखना   प्यार से तुम प्यार लिखना 

      ले सजल भोले नयन  कल-कल  प्यार की सरिता बहाना 
      उन्मुक्त  केशों  की  घनेरी  छांव  कपोलों  पर लिए आना 

      नत   भाल   हों  तुम्हारे   प्यार  के  अतिभार  से  भारित 
      कामना  ले   उष्ण  चुम्बन  की   गहन   मेरे  पास  आना  

      निश्छल   भाव  से  कर  देना   के  ह्रदय  तार को  झंकृत 
     निर्मल भाव आबद्ध करने  का तुम लिए उर  मध्य आना 

                                                              अज़ीज़ जौनपुरी    
     
    
     

17 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना ...

    ReplyDelete
  2. नत भाल हों तुम्हारे के प्यार के अतिभार से भारित
    कामना ले उष्ण चुम्बन की गहन मेरे पास आना-------
    प्रेम की सुन्दरता की सुंदर अनुभूति
    बहुत सुंदर
    बधाई

    ReplyDelete
  3. बहुत ही सुन्दर रचना,प्रेम की सार्थक अभिव्यक्ति.

    ReplyDelete
  4. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि की चर्चा कल मंगलवार १६ /४/ १३ को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है ।

    ReplyDelete
  5. उन्मुक्त प्रेम और असीम सौन्दर्य की खुशबू में डूबी
    सुन्दर रचना******^^^^^^^***************************************************तुम प्रणय की वीथिका में कर पृथक श्रृंगार आना
    बक्ष में ले प्यार का तुम कोमल मनोरम भाव आना

    वासना की कामना से कर स्वयम को मुक्त तुम
    धवल पावन परिधान में, बन उन्मुक्त मेरा प्यार आना

    उर मध्य मेरे तीक्ष्ण नख से प्यार की प्रतिमा बनाना
    नाम अपना प्यार लिखना प्यार से तुम प्यार लिखना

    ले सजल भोले नयन कल-कल प्यार की सरिता बहाना
    उन्मुक्त केशों की घनेरी छांव कपोलों पर लिए आना

    ReplyDelete
  6. ....... प्रशंसनीय रचना - बधाई

    ReplyDelete
  7. प्रेम ही प्रेम रस से प्लावित बहुत ही उत्कृष्ट रचना - बहुत सुन्दर प्रस्तुति .
    latest post"मेरे विचार मेरी अनुभूति " ब्लॉग की वर्षगांठ
    latest post वासन्ती दुर्गा पूजा

    ReplyDelete
  8. रचना सहज ही लौकिक से अ -लौकिक प्रेम की और चल देती है .बढ़िया ,बहुत बढ़िया प्रस्तुति .

    ReplyDelete
  9. उर मध्य मेरे तीक्ष्ण नख से प्यार की प्रतिमा बनाना
    नाम अपना प्यार लिखना प्यार से तुम प्यार लिखना ...बहुत सुंदर रचना

    ReplyDelete
  10. प्रेम रस से ओत प्रोत रचना

    ReplyDelete
  11. सुन्दर...
    बहुत सुन्दर.....

    अनु

    ReplyDelete
  12. bahut hi pyari rachna jise pad kar kisi ke bhi man mein pyar ka bhavar gujne lagega.

    ReplyDelete
  13. बेहतरीन भाव ... बहुत सुंदर रचना प्रभावशाली प्रस्तुति

    ReplyDelete