पकड़ हाथ में गीता यारों
(पूर्व में प्रस्तुत ब्लॉग से विलुप्त रचना)
राजनीती काज़ल से काली, छलती ऱोज सभी को यारों
करते खून, कतल मिल सब, ऊँगली उठाते मुझ पर यारों
घर शीशे का नहीं है इनका, पर सब कुछ दीखता है यारों
भेस बदल कर सब बैठे हैं, सब के सब भडुआ हैं यारों
करते हम बदनाम तवायफ़, ये उससे भी बदतर यारों
दिखने में ये राम हैं दिखते , पर ये सब हैं रावण यारों
गलिओं के अंधेरों में , हैं , सब घात लगाए बैठे यारों
रात - रात रहजनी हैं करते, चन्दन माथ लगाए यारों
रोज - रोज घोटाले करते , पकड़ हाथ में गीता यारों
रोज लड़ाते मंदिर मस्जिद, घर- घर आग लगाते यारों
किस- किस का नाम बताएँ, लगते सब खूँखार हैं यारों
बिना बात दंगे करवाते , सब के सब गद्दार हैं यारों
वीवी एक नहीं ये रखते , हर सहर में इनकी वीवी यारों
इधर उधर हैं बच्चा पैदा करते,मुझको बाप बताते यारों
डी एन ए को झूठ बताते ,कहते यह सब फर्जी है यारों
सब सही पता लग जायेगा, इधर उधर तुम पूँछ लो यारों
खड्वा चंदन मधुरी बाणी , इन सब की तो देखो यारों
रात- रात घन्टी चोरवाते, फिर सुबह चढ़ाते घन्टी यारों
गोरख धंधें में सब माहिर , रोज़ कराते धंधें यारों
लिए हाथ बन्दूक खड़े सब, रोज़ ढूंढ़ते कन्धा यारों
नाम नयन सुख अपना रखते,कहते सब को अँधा यारों
सब की दाढ़ी में तिनका है,इनकी दाढ़ी तिनके की यारों
राम नाम की माला जपते , घन्टी ऱोज बजाते यारों
बुरी नज़र रखते इज्ज़त पर, घन्टों पूजा करते यारों
हैं अज़ान में बाक लगाते , लिए हाथ में खंजर यारों
हाथ सने हैं खून से इनके, बनते सब गाँधी हैं यारों
कहते तो मुझको"अज़ीज़"हैं, हँस-हँस ये छलते हैं यारों
नहीं भरोसा इनपे करना , सब के सब कातिल हैं यारों
अज़ीज़ जौनपुरी
ReplyDeleteगजल प्रवाह संपन्न है...
खासकर .....
गलिओं के अंधेरों में , हैं , सब घात लगाए बैठे यारों
रात - रात रहजनी हैं करते, चन्दन माथ लगाए यारों
बहुत सही लगा.
धन्यवाद...
बहुत बढ़िया रचना , और सार्थक व्यंग्य और कटाक्ष
ReplyDeleteवाह......
ReplyDeleteबहुत बढ़िया,,,,
सादर
अनु
ReplyDeleteबढ़िया व्यंग्य विडंबन राजनीतिक विद्रूप पर .
राजनीती काज़ल से काली, छलती ऱोज सभी को यारों
करते खून, कतल मिल सब, ऊँगली उठाते मुझ पर यारों
बेहतरीन अज़ीज़ साहब ,करते हम बदनाम तवायफ़, ये उससे भी बदतर यारों
ReplyDeleteदिखने में ये राम हैं दिखते , पर ये सब हैं रावण यारों
गलिओं के अंधेरों में , हैं , सब घात लगाए बैठे यारों
रात - रात रहजनी हैं करते, चन्दन माथ लगाए यारों
रोज - रोज घोटाले करते , पकड़ हाथ में गीता यारों
रोज लड़ाते मंदिर मस्जिद, घर- घर आग लगाते यारों
किस- किस का नाम बताएँ, लगते सब खूँखार हैं यारों
बिना बात दंगे करवाते , सब के सब गद्दार हैं यारों
वीवी एक नहीं ये रखते , हर सहर में इनकी वीवी यारों
इधर उधर हैं बच्चा पैदा करते,मुझको बाप बताते यारों
डी एन ए को झूठ बताते ,कहते यह सब फर्जी है यारों
सब सही पता लग जायेगा, इधर उधर तुम पूँछ लो यारों