नकाब
नकाब लगा, नक़ाब उठाने लगे हैं लोग
देख सच को आज़ घबराने लगे हैं लोग
कहीं नक़ाब , न चेहरे से उठ जाय उनके
देख आईना अपना मुह छुपाने लगे हैं लोग
आईना चल कहीं उनके घर न आ जाए
घरों में कई किवाड़े लगाने लगे हैं लोग
अब आईने पे ही ऊँगली उठाने लगे हैं लोग
ख़ुद के चेहरों से ही घबराने लगे हैं लोग
उठ गया है नक़ाब आज उनके चेहरे का
देख ख़ुद का ज़हर ख़ुद से घबराने लगे हैं लोग
"अज़ीज़" आज तू भी ज़रा देख ले आईना
तुझ पर भी आज़ ऊँगली उठाने लगे हैं लोग
अज़ीज़ जौनपुरी
बहुत खूब ****** अब आईने पे ही ऊँगली उठाने लगे हैं लोग
ReplyDeleteख़ुद के चेहरों से ही घबराने लगे हैं लोग
उठ गया है नक़ाब आज उनके चेहरे का
देख ख़ुद का ज़हर ख़ुद से घबराने लगे हैं लोग
"अज़ीज़" आज तू भी ज़रा देख ले आईना
तुझ पर भी आज़ ऊँगली उठाने लगे हैं लोग
वर्तमान में लोग चेहरे ढक कर जी रहे हैं इस वास्तव का पर्दाफाश करने वाली कविता।
ReplyDeletewaaaaaah waaaaaaaaaah
ReplyDeleteअब आईने पे ही ऊँगली उठाने लगे हैं लोग
ReplyDeleteख़ुद के चेहरों से ही घबराने लगे हैं लोग
उठ गया है नक़ाब आज उनके चेहरे का
देख ख़ुद का ज़हर ख़ुद से घबराने लगे हैं लोग
"अज़ीज़" आज तू भी ज़रा देख ले आईना
तुझ पर भी आज़ ऊँगली उठाने लगे हैं लोग-
अब आइने ही गायब कर देंगे लोग
latest post तुम अनन्त
अच्छी गजल
ReplyDeleteबढ़िया है आदरणीय -
ReplyDeleteशुभकामनायें-