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Thursday, April 18, 2013

अज़ीज़ जौनपुरी : नकाब


                 नकाब

        
         
    नकाब   लगा,  नक़ाब  उठाने  लगे  हैं  लोग 
    देख  सच  को  आज़  घबराने  लगे  हैं  लोग 

    कहीं  नक़ाब  ,  न   चेहरे  से उठ जाय उनके   
    देख आईना अपना मुह छुपाने  लगे  हैं लोग      
     
    आईना  चल  कहीं   उनके  घर  न  आ  जाए    
    घरों   में   कई  किवाड़े   लगाने  लगे हैं लोग
   
    अब  आईने  पे  ही ऊँगली उठाने लगे हैं लोग 
    ख़ुद  के   चेहरों  से   ही घबराने  लगे  हैं लोग 

    उठ  गया  है   नक़ाब   आज  उनके  चेहरे का 
    देख ख़ुद का ज़हर ख़ुद से घबराने लगे हैं लोग 

   "अज़ीज़" आज  तू  भी  ज़रा  देख  ले  आईना 
    तुझ  पर  भी आज़ ऊँगली उठाने लगे हैं लोग 
   
                                        अज़ीज़ जौनपुरी 
  
       
         

6 comments:

  1. बहुत खूब ****** अब आईने पे ही ऊँगली उठाने लगे हैं लोग
    ख़ुद के चेहरों से ही घबराने लगे हैं लोग

    उठ गया है नक़ाब आज उनके चेहरे का
    देख ख़ुद का ज़हर ख़ुद से घबराने लगे हैं लोग

    "अज़ीज़" आज तू भी ज़रा देख ले आईना
    तुझ पर भी आज़ ऊँगली उठाने लगे हैं लोग

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  2. वर्तमान में लोग चेहरे ढक कर जी रहे हैं इस वास्तव का पर्दाफाश करने वाली कविता।

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  3. अब आईने पे ही ऊँगली उठाने लगे हैं लोग
    ख़ुद के चेहरों से ही घबराने लगे हैं लोग

    उठ गया है नक़ाब आज उनके चेहरे का
    देख ख़ुद का ज़हर ख़ुद से घबराने लगे हैं लोग

    "अज़ीज़" आज तू भी ज़रा देख ले आईना
    तुझ पर भी आज़ ऊँगली उठाने लगे हैं लोग-
    अब आइने ही गायब कर देंगे लोग
    latest post तुम अनन्त

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  4. बढ़िया है आदरणीय -
    शुभकामनायें-

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