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Sunday, April 21, 2013

अज़ीज़ जौनपुरी : ज़हर खिलाना था

    
       ज़हर खिलाना था 

     ये  अज़ीज़ की  किश्मत थी  या फ़िर मौत  की  साज़िश थी
     आज  धोके से  पूजा के  बहाने  अज़ीज़  को घर बुलाना था 

     ये हादसा था कि वक्त  के  पहले  नीद  आ गई  अज़ीज़ को
     किसी अपने की साज़िश थी, अज़ीज़ की मौत का आना था  

     अज़ीज़ के ख्वाबों को पर लगा, ऊँची  उड़ान  एक बहाना था  
     साजिशन , अज़ीज़  के पर  काट उन्हें  ज़मी पर गिराना था  

     एक  आशिक  को   कहाँ  फुरशत  है कि  वो  मौत  पर सोचे  
      अज़ीज़ को आज अपने घर बुला मौत की सज़ा सुनाना  था 

     मौत आ  गई  आज  अज़ीज़  की  होमो -  हवन के नाम पर
     दुआ के नाम अज़ीज़ को परसाद में ज़हर मिला खिलाना था 

     ये   साज़िश  थी  किसी  रकीब  की या  उनका कारनामा था 
     उनके हाथो परसाद खा अज़ीज़ का दुनियाँ से चला जाना था

        रकीब -एक  स्त्री  के दो  प्रेमी                                                              

                                                               अज़ीज़ जौनपुरी 
    
  
   
    

   
      

6 comments:

  1. बहुत खूब अज़ीज़ साहब , क्या बात है "एक आशिक को कहाँ फुरशत है कि वो मौत पर सोचे
    अज़ीज़ को आज अपने घर बुला मौत की सज़ा सुनाना था

    मौत आ गई आज अज़ीज़ की होमो - हवन के नाम पर
    दुआ के नाम अज़ीज़ को परसाद में ज़हर मिला खिलाना था

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  2. ये साज़िश थी किसी रकीब की या उनका कारनामा था
    उनके हाथो परसाद खा अज़ीज़ का दुनियाँ से चला जाना था___वाह, बहुत खूब

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  3. मौत आ गई आज
    अज़ीज़ की होमो-हवन
    के नाम पर
    दुआ के नाम
    अज़ीज़ को परसाद में
    ज़हर मिला खिलाना था
    क्या खूब
    सादर

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