जूरुरत है जिनकी उन्हें जानते है
खबर आंधियों की मैं रखता नहीं
चरागों का बुझना मगर जानते हैं
मील के पत्थरों की जूरुरत नहीं
जाना किघर है मगर जानते हैं
कदम मेरे भटके चाहे जितने भी हों
मिलना है जिनसे मगर जानते हैं
जिनकीं नज़रों में मेर चेहरा बसा है
उन होठो को छूने का हुनर जानते हैं
नहीं चाहिए मुझको रहमो -करम
मगर दुआओं का असर जानते हैं
किताबे - मोहब्बत न देखा कभी
लिखा क्या है उसमे मगर जानते हैं
राज़ सारे जो उनके दिल में छिपे हैं
उसकी मगर हम खबर जानते हैं
दिशा तेरी भटकी भले हो "अज़ीज़"
जाना किधर है हम मगर जानते हैं
अज़ीज़ जौनपुरी
नहीं चाहिए मुझको रहमो -करम
ReplyDeleteमगर दुआओं का असर जानते हैं
nice words.......
नहीं चाहिए मुझको रहमो -करम
ReplyDeleteमगर दुआओं का असर जानते हैं
very nice.
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ReplyDeleteवह अज़ीज़ साहब ,क्या खूब लिखा है*********किताबे - मोहब्बत न देखा कभी
ReplyDeleteलिखा क्या है उसमे मगर जानते हैं.............. दिशा तेरी भटकी भले हो "अज़ीज़"
जाना किधर है हम मगर जानते
दिल में सार्थक जज्बा जगाती बेहतरीन रचना.
ReplyDeleteखबर आंधियों की मैं रखता नहीं
ReplyDeleteचरागों का बुझना मगर जानते हैं
Shaandar ghazal.
बहुत खूब sir ,
ReplyDeleteगुज़ारिश : !!..शायद ,मैं फेल हो गई.. !!
किताबे - मोहब्बत न देखा कभी
ReplyDeleteलिखा क्या है उसमे मगर जानते हैं
शानदार गज़ल.....
बहुत उम्दा ग़ज़ल!
ReplyDeleteदिशा तेरी भटकी भले हो "अज़ीज़"
ReplyDeleteजाना किधर है हम मगर जानते हैं..........बहुत सुंदर लिखा है
जिनकीं नज़रों में मेर चेहरा बसा है
ReplyDeleteउन होठो को छूने का हुनर जानते हैं
वाह ज़िन्दगी का सबसे बड़ा स्पंदन तो यही है -होठों ने आपस में कही,होठों ने खुलके कही दिलसे दिल कीबात
कदम मेरे भटके चाहे जितने भी हों
ReplyDeleteमिलना है जिनसे मगर जानते हैं ....क्या बात है ...
दिशा तेरी भटकी भले हो "अज़ीज़"
ReplyDeleteजाना किधर है हम मगर जानते हैं..
उम्दा ग़ज़ल!
ReplyDeleteक्या बात है अज़ीज़ साहब सुनने वाले को भी आप दीवाना बना रहें हैं .
BAHUT SUNDAR GAZAL KAHI HAI AAPNE .BADHAI
ReplyDeleteकिताबे - मोहब्बत न देखा कभी
ReplyDeleteलिखा क्या है उसमे मगर जानते हैं
******** शानदार गज़ल
दिल को दिल से राहत होती है,दिल को दिल की खबर रहती है सच्चे आशिक को .
ReplyDeleteराज़ सारे जो उनके दिल में छिपे हैं
ReplyDeleteउसकी मगर हम खबर जानते हैं..are waah .......bahut khoob ....
ReplyDeleteजूरुरत नहीं आज हमको किसी की
कदम मेरे मंजिल डगर जानते हैं
जूरुरत नहीं आज हमको किसी की
कदम मेरे मंजिल डगर जानते हैं
सजनी को बेहद का हम जानते हैं .बढ़िया लिख रहें हैं सर जी .दिलसे .
बहुत उम्दा .सार्थक अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteक्या बात है सरजी ,गजल का हरेक शैर एक नगीना है .
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