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Wednesday, March 13, 2013

अज़ीज़ जौनपुरी : मगर जानते हैं




 जूरुरत  है  जिनकी  उन्हें जानते है 
 कदम   मेरे मंजिल डगर जानते हैं 

 खबर आंधियों  की  मैं रखता नहीं 

 चरागों का  बुझना  मगर जानते हैं   

 मील  के  पत्थरों  की  जूरुरत  नहीं

 जाना  किघर  है   मगर  जानते हैं 

 कदम मेरे भटके चाहे जितने भी हों   

 मिलना  है  जिनसे मगर जानते हैं 

  जिनकीं नज़रों में  मेर  चेहरा बसा है

  उन होठो को छूने का हुनर जानते हैं 
         
  नहीं  चाहिए  मुझको   रहमो -करम
  मगर   दुआओं  का  असर  जानते हैं

  किताबे -  मोहब्बत   न  देखा  कभी

  लिखा  क्या है उसमे मगर जानते हैं

 राज़  सारे  जो  उनके दिल में छिपे हैं

 उसकी  मगर  हम   खबर  जानते हैं

 दिशा  तेरी  भटकी  भले  हो "अज़ीज़"

जाना  किधर  है हम  मगर  जानते हैं

                      अज़ीज़ जौनपुरी 
                           

21 comments:

  1. नहीं चाहिए मुझको रहमो -करम
    मगर दुआओं का असर जानते हैं
    nice words.......

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  2. नहीं चाहिए मुझको रहमो -करम
    मगर दुआओं का असर जानते हैं
    very nice.

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  4. वह अज़ीज़ साहब ,क्या खूब लिखा है*********किताबे - मोहब्बत न देखा कभी
    लिखा क्या है उसमे मगर जानते हैं.............. दिशा तेरी भटकी भले हो "अज़ीज़"
    जाना किधर है हम मगर जानते

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  5. दिल में सार्थक जज्बा जगाती बेहतरीन रचना.

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  6. खबर आंधियों की मैं रखता नहीं
    चरागों का बुझना मगर जानते हैं


    Shaandar ghazal.

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  7. किताबे - मोहब्बत न देखा कभी
    लिखा क्या है उसमे मगर जानते हैं

    शानदार गज़ल.....

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  8. दिशा तेरी भटकी भले हो "अज़ीज़"
    जाना किधर है हम मगर जानते हैं..........बहुत सुंदर लिखा है

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  9. जिनकीं नज़रों में मेर चेहरा बसा है
    उन होठो को छूने का हुनर जानते हैं

    वाह ज़िन्दगी का सबसे बड़ा स्पंदन तो यही है -होठों ने आपस में कही,होठों ने खुलके कही दिलसे दिल कीबात

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  10. कदम मेरे भटके चाहे जितने भी हों
    मिलना है जिनसे मगर जानते हैं ....क्या बात है ...

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  11. दिशा तेरी भटकी भले हो "अज़ीज़"
    जाना किधर है हम मगर जानते हैं..

    उम्दा ग़ज़ल!

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  12. क्या बात है अज़ीज़ साहब सुनने वाले को भी आप दीवाना बना रहें हैं .

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  13. BAHUT SUNDAR GAZAL KAHI HAI AAPNE .BADHAI

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  14. किताबे - मोहब्बत न देखा कभी
    लिखा क्या है उसमे मगर जानते हैं

    ******** शानदार गज़ल

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  15. दिल को दिल से राहत होती है,दिल को दिल की खबर रहती है सच्चे आशिक को .

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  16. राज़ सारे जो उनके दिल में छिपे हैं
    उसकी मगर हम खबर जानते हैं..are waah .......bahut khoob ....

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  17. जूरुरत नहीं आज हमको किसी की
    कदम मेरे मंजिल डगर जानते हैं

    जूरुरत नहीं आज हमको किसी की
    कदम मेरे मंजिल डगर जानते हैं

    सजनी को बेहद का हम जानते हैं .बढ़िया लिख रहें हैं सर जी .दिलसे .

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  18. बहुत उम्दा .सार्थक‍ अभिव्यक्ति.

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  19. क्या बात है सरजी ,गजल का हरेक शैर एक नगीना है .

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