Pages

Tuesday, March 12, 2013

अज़ीज़ जौनपुरी : चेहरा धड़ से अलग देख रहा हूँ

                  चेहरा धड़ से अलग देख रहा हूँ 


             अपना   चेहरा   पूरा   नंगा,  चेहरे   पर   रंगीन   नकाबें 
             लिए   हाथ   ख़ुद  पत्थर  मैं  अपना  चेहरा   देख  रहा हूँ

              ख़ुद  के  भीतर  नफ़रत  की  यह  कैसी  दिवार खड़ी है 
              कर  ख़ुद को  बेशर्म  आज  ख़ुद  को  नंगा   देख  रहा हूँ 

              मेरे   माथे  पर  गुनाह   की  एक  नहीं   हज्जार लकीरें 
              हर सलवट पर लिखे गुनाह को  रह-रह कर देख रहा हूँ 
             
               लगी  शर्त  है  हर चेहरे  में  देखो  कौन बड़ा कातिल है 
               हर  कातिल का  चेहरा अपने  चेहरे  में  मैं  देख रहा हूँ

               बताते   जा    रहा   हूँ    ख़ुद   को   मील   का   पत्थर    
               कदम - कदम   पे   ख़ुद   का   फिसलना   देख  रहा हूँ
         
              न  बन  सका  कोई  हर्फ़  मेरे दिल का आईना ता-उम्र
              आज  "अज़ीज़" का  चेहरा  धड़  से   अलग देख रहा हूँ 
           
                                                               अज़ीज़ जौनपुरी 
            
          
  

13 comments:

  1. लगी शर्त है हर चेहरे में देखो कौन बड़ा कातिल है
    हर कातिल का चेहरा अपने चेहरे में मैं देख रहा हूँ
    gajab bhai ji bahut khub

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    अब तो बस अलगाव की,चलने लगी बयार।
    जीवन जीने का यहाँ, खिसक रहा आधार।।
    --
    आपकी इस पोस्ट का लिंक आज बुधवार 13-03-2013 को चर्चा मंच पर भी है! सूचनार्थ...सादर!

    ReplyDelete

  3. सादर जन सधारण सुचना आपके सहयोग की जरुरत
    साहित्य के नाम की लड़ाई (क्या आप हमारे साथ हैं )साहित्य के नाम की लड़ाई (क्या आप हमारे साथ हैं )

    ReplyDelete
  4. कमाल ... लाजवाब..वाह!

    ReplyDelete
  5. मील का पत्थर-
    फिसलता दिख रहा है-
    गजब भाव हैं आदरणीय-
    आभार आपका-

    ReplyDelete
  6. अज़ीज़ भाई आज हर शख्श ऐसे ही अ -संपृक्त महसूस कर रहा है खुद से व्यवस्था से ,परिवेश से .

    ReplyDelete
  7. कभी कभी खुद की जिन्दगी से कई प्रश्न पूछ बैठते हैं हम
    और जवाब संतोषजनक नहीं मिलता ,,,,,

    बहुत बढ़िया ,,,,,सार्थक रचना
    सादर !

    ReplyDelete
  8. लगी शर्त है हर चेहरे में देखो कौन बड़ा कातिल है
    हर कातिल का चेहरा अपने चेहरे में मैं देख रहा हूँ,,,,
    बहुत उम्दा शेर,,,,

    Recent post: होरी नही सुहाय,

    ReplyDelete
  9. बेहतरीन भाव लिए सुन्दर अभिव्यक्ति,आभार.

    ReplyDelete
  10. एक सुंदर आत्मावलोकन का नजरिया प्रस्तुत किया है आपाद..

    ReplyDelete