खून की तौहीन है ख़ामोश हो यूँ आँसू बहाना हमारे खून की तौहीन है
है जरूरी आँसुओं के हाथ हौसले तलवार के दे कर देखिए
है गहरा कुहासा छा गया अब मुल्क की तकदीर पर
बस एक बार अपने बाजुओं को उपर उठा कर देखिए
ख़ून की होली मची है, आबरु हर तरफ है लुट रही
आग सीने में जला कुछ कर गुज़र कर देखिए
दिख रही हैं सलवटें हर सक्श की पेशानियों पर
खूँ से सने हाथो को बेशक काट कर तो देखिए
अज़ीज़ जौनपुरी
ख़ून की होली मची है, आबरु हर तरफ है लुट रही
आग सीने में जला कुछ कर गुज़र कर देखिए
दिख रही हैं सलवटें हर सक्श की पेशानियों पर
खूँ से सने हाथो को बेशक काट कर तो देखिए
साजिशों पे साजिशें की साज़िशें हर रोज़ ही होती रहेंगीं
मजबूर सांसों की घुटन में जीने की आदत छोड़ कर तो देखिए
हैं क्यों बुझ गए ज़ज्बात शोलों के दिलों से अब हमारे
सब समझ में आ जायगा "अज़ीज़"से मुठभेड़ कर तो देखिए अज़ीज़ जौनपुरी
खून से सने हाथों को तो काटना ही पडेगा अजीज भाई,बहुत ही भावात्मक ग़ज़ल.
ReplyDeleteसाजिशों पे साजिशें की साज़िशें हर रोज़ ही होती रहेंगीं
ReplyDeleteमजबूर सांसों की घुटन में जीने की आदत छोड़ कर तो देखिए
खूबसूरत अंदाज़ अर्थ और रूपक ,आवाहन कुछ कर गुजरने का .
jindgi me josh ,umang,sahas,utsah ko bharti ak joshili prastuti ख़ामोश हो यूँ आँसू बहाना हमारे खून की तौहीन है
ReplyDeleteहै जरूरी आँसुओं के हाथ हौसले तलवारके दे कर देखिए
है गहरा कुहासा छा गया अब मुल्क की तकदीर पर
बस क बार अपने बाजुओं को उपर उठा कर देखिए
ख़ून की होली मची है,आबरु हर तरफ है लुट रही
आग सीने में जला कुछ कर गुज़र कर देखिए
दिख रही हैं सलवटें हर सक्श की पेशानियों पर
खूँ से सने हाथो को बेशक काट कर तो देखिए
ReplyDeleteदिलों में जोश भरती बेहतरीन गजलें
latest post भक्तों की अभिलाषा
latest postअनुभूति : सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDelete--
रंगों के पर्व होली की बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामंनाएँ!
बहुत उम्दा सराहनीय गजल,,,,,अज़ीज़ जी बधाई,,,
ReplyDeleteहोली की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाए,,,
Recent post : होली में.
ReplyDeleteभावुक अनुभूति सार्थक रचना
बहुत बहुत बधाई
होली की शुभकामनायें
aagrah hai mere blog main bhi padharen
बहुत सुंदर रचना ....होली की शुभकामनाए
ReplyDeleteबाजुओं को फड़काने वाली जोशीली रचना .
ReplyDeleteभाव पूर्ण लालित्य लिए सृजन ...होली की हार्दिक शुभकामनाएं .....
ReplyDelete.. ' गर जीया नहीं मुफलिसी में उसे गम का कहाँ पता
गैरों के गम तो आप हमसफ़र बना कर देखिये' -
सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसाजिशों पे साजिशें की साज़िशें हर रोज़ ही होती रहेंगीं
ReplyDeleteमजबूर सांसों की घुटन में जीने की आदत छोड़ कर तो देखिए
मज़बूरी के नाम पर यदि बचते रहे तो मुल्क कैसे बचेगा.साजिशों को रोकने और उनका पर्दाफाश करने के लिए उठना जरुरी है. भाव प्रद ग़ज़ल