ग़ालिब को कई दिल, मगर अज़ीज़ को कई हाथ
यारब !या दिल न दिया होता,या दर्दे- दिल न दिया होता
दर्दे - दिल दिया , तो दिया, इतना ज्यादा न दिया होता
दर्दे - ज़िगर इतना दिया कि वो सम्हाले न सम्हलता
कम्बख्त,दिल एक ही काफ़ी था,मगर हाथ कई दिया होता
गमे- ए- हिज्राँ भी दिया तो दिया कुछ दुआ भी दिया होता
हाथ दिल पे टिका रख़ा है, दर्दे-ज़िगर में क्यूँ न मर गया होता
हाय,न दर्द बे-इन्तिहाँ दिया होता न हाथ दिल पे टिका होता
ज़िगर! हाथ में दिया होता तो दस्त, ज़िगर पे न टिका होता
ए-दस्ते जिगर न सही , न सही ,दस्ते- दुआ तो दिया होता
ग़ालिब को कई दिल मग़र "अज़ीज़" को कई हाथ दिया होता
अज़ीज़ जौनपुरी
बहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeletelatest post हिन्दू आराध्यों की आलोचना
latest post धर्म क्या है ?
या रब ! या दिल न दिया होता,या दर्दे- दिल न दिया होता
ReplyDeleteदर्दे - दिल दिया , तो दिया, इतना ज्यादा न दिया होता
बहुत सुन्दर !
बेहतरीन प्रस्तुति ,कुछ अलग और कुछ हट कर****** दर्दे - ज़िगर इतना दिया कि वो न सम्हाले है सम्हलता
ReplyDeleteकम्बख्त,दिल एक ही काफ़ी था,मगर हाथ कई दिया होता
गमे- ए- हिज्राँ भी दिया तो दिया कुछ दुआ भी दिया होता
हाथ दिल पे टिका रख़ा है, दर्दे-ज़िगर में क्यूँ न मर गया होता
हाय,न दर्द बे-इन्तिहाँ दिया होता न हाथ दिल पे टिका होता
ज़िगर! हाथ में दिया होता तो दस्त, ज़िगर पे न टिका होता
ए-दस्ते जिगर न सही , न सही ,दस्ते- दुआ तो दिया होता
ग़ालिब को कई दिल मग़र "अज़ीज़" को कई हाथ दिया होता
वाह !!! बहुत बेहतरीन सुंदर नज्म, बधाई ,,,,,,
ReplyDeleteRecent post: होली की हुडदंग काव्यान्जलि के संग,
ए-दस्ते जिगर न सही , न सही ,दस्ते- दुआ तो दिया होता
ReplyDeleteग़ालिब को कई दिल मग़र "अज़ीज़" को कई हाथ दिया होता
बढ़िया रचना है बिम्ब भी अर्थ अन्विति भी .
bahut badiya..
ReplyDeleteबहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति,आभार.
ReplyDeleteवाह वाह क्या बात है अज़ीज़ साहब , ग़ालिब ने कहा था या रब दिल कई दिया होता और आप की ग़ज़ल कह रही है हाथ कई दिया होता,एक हाथ से दिल सम्हाल पाने में बहुत मुश्किल है ,ग़ज़ल में रब से यह भी गुज़ारिश की गयी है की अगर हाथ में दिल दिया होता तो थोडा जीना आसन हो जाता ,
ReplyDeleteएक बेहतरीन और लीक से हट कर वैचारिक
द्वंद एवम उहापोह की स्थिति को व्यक्त किया गया है,
वाह ... क्या बात है ... लाजवाब उम्दा शेर ...
ReplyDeleteए-दस्ते जिगर न सही , न सही ,दस्ते- दुआ तो दिया होता
ReplyDeleteग़ालिब को कई दिल मग़र "अज़ीज़" को कई हाथ दिया होता
बहुत सुन्दर