कुछ कीजिये
बात गैरों की यहाँ मत भूल कर भी कीजिये
गर सच्चाई देखनी है खुद को पहले देखिये
आईने भी झूठ की तस्बीर गढ़ने लग गए हैं
आईना पहले बदल,खुद तस्बीर अपनी देखिये
सचाई निर्वसन होने की जिद पर अड़ गई है
मुखौटा चेहरे से हटा अपना असली चेहरा देखिये
टूट जाते हैं यहाँ रिश्ते सदिओं पुराने देखते ही
मुखौटा चेहरे से हटा अपना असली चेहरा देखिये
टूट जाते हैं यहाँ रिश्ते सदिओं पुराने देखते ही
डोर रिश्तों की बदलने की आदत पुरानी छोड़िये
दस्ते-कातिल में लिए खंजर जो यूं फिर रहे हो
उंगलिओं को प्यार की भाषा पढाना सीखिए
उंगलिओं को प्यार की भाषा पढाना सीखिए
ताश के पत्तों सरीखे नाहक चालें बदलते रोज़ हो
चार दिन की जिंदगी में बस प्रेम करना सीखिए
चार दिन की जिंदगी में बस प्रेम करना सीखिए
अज़ीज़ जौनपुरी
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