सवाल
घर से निकलते वख्त माँ ने डबडबाई आँखों से, जिसका हमें डर था' फ़िर वही पुराना सवाल आखिरकार कर ही दिया ,बेटा फिर कब आओगे ? यह सवाल माँ ने मुझसे कितनी बार किया होगा -कह पाना मुस्किल ही नहीं असंभव भी है,जितनी बार मैंने घर की चौकठ के बाहर अपने पावँ रखें होंगे उससे कई गुना ज्यादा बार ,यह सवाल माँ के वजूद से हुआ है,क्यों कि इस सवाल के जवाब में उसे न जाने कितने जवाब खुद-ब-खुद मिल जाते हैं और वह मेरे फिर घर आने के दिन तक उन्हीं जावाबों के अर्थ की व्यख्या को न जाने कितने परों को लगा आकाश की ओर बस उसे ही निहारती रहती है, इसलिए नहीं कि उसके पास कोई और काम ही नहीं है बल्कि इसलिए कि उसे ऐसा करने बेहद सुकून मिलता है , यह सवाल हर माँ का है।सायद दुनिया में ऐसी भी क्या कोई माँ होगी जिसने यह सवाल न किया हो ?,कत्तई नहीं।शादी के बाद जब मै पहली बार अपनी नव विवाहिता पत्नी के साथ नौकरी वाले स्थान के प्रस्थान हेतु ज्यों ही घर की चौकठ को पार करने लिए पावँ ड्योढ़ी के बाहर रखने ही वाला था कि माँ का फिर वही पुराना सवाल बेटा फिर कब आओगे ? सवाल तो था पुराना ही पर ,इस बार इस सवाल का जवाब मै देता कि तभी मेरी पत्नी ने पीछे मुड़ मेरी माँ की तरफ़ देखा ही था कि माँ कुछ और कहती, तभी मैंने माँ का पैर छूने के लिए अपने दोनों हाथों को ज्यों हीं उसके उन्हीं दोनों पावों की तरफ बढ़ाया ही था, जिनको मैंने न जाने कितनी बार छुए होंगे ,तभी मेरी पत्नी ने कुछ तेज आवाज़ में कहा की जल्दी करो देर हो रही है,इतने में ही माँ ने बड़ी जल्दी में कहा की बेटा बहू ठीक कह रही है
देर मत करो,बगैर पैर छुए ही माँ ने आशीर्वाद देते हुए कहा बहू का खयाल रखना ,उसकी आँखों से आँसू की कुछ बूंदे मेरे पैरों आ गिरीं और मै माँ की आँखों को अवाक् देखता रह गया और मेरी पत्नी घर की ड्योढ़ी से काफी दूर पहुँच चुकी थी और मै टुकड़ों में बँट एक अजीब उहापोह में छटपटाता रहा थ, आज मेरे बेटे की शादी है माँ भी गाँव से आई हुई है ,कल मेरा बेटा न जाने अपनी माँ का पैर छुए ही घर से मेरी तरह ही चला जायगा या फिर ......देखना है कि आज यदि बेटा वगैर अपनी माँ का पैर छुए ही घर की ड्योढ़ी पार कर जाता है तो उसकी माँ की आँखों से आँसूं की बूंदे गिरती है या फिर मेरी माँ की आखोँ की तरह कितनी अवाक् और
पथराई आखों से अपने बेटे को निहारतीं उसका पीछा करती हैं ? हर माँ का यह सवाल आज भी बदस्तूर जारी है।
अज़ीज़ जौनपुरी
पथराई आखों से अपने बेटे को निहारतीं उसका पीछा करती हैं ? हर माँ का यह सवाल आज भी बदस्तूर जारी है।
अज़ीज़ जौनपुरी
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (09-09-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
कैनवास छोटा ही सही
ReplyDeleteपेन्टिंग सही बनाई
इतना कर लिया
बहुत कर लिया !
Hello, nice blog
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