मैं आऊंगा
मै पथिक प्रिये तुम पथ बनना
तुम चुपचाप मेरे संग संग चलना
मै सब कह दूंगा कुछ कहे बिना
तुम सुन लेना कुछ सुने बिना
चक्षु द्वार से ज्योति पुंज बन
गीत सुनाने,तुम्हे रिझाने मै आऊंगा .......मै आऊंगा ......................
मन की सूनी पगडंडी पर चल
बन अतिथि तुम्हारे जीवन में
कर , हार लिए सुरभित पुष्पों का
जीवन की स्वप्निल स्मृतिओं में
बन विरह वेदना की सरिता
कल-कल की ध्वनि बन मै आऊंगा ..........मै आऊंगा
पग ध्वनिओं की बन मौन चाप
ले व्यथा-कथा अपने जीवन की
अगणित पीड़ा की प्रतिमा बन
के अल्हड़ अन्धियारें पन में
शर्मो-हया का बस्त्र पहन कर
ले पुष्प, दीप ,घृत,बाती हाथों में
पढ़- पढ़ गीता और रमायण
दीप जलाने ज्योति जगाने मै आऊंगा .........मै आऊंगा
अज़ीज़ जौनपुरी
मन की सूनी पगडंडी पर चल
बन अतिथि तुम्हारे जीवन में
कर , हार लिए सुरभित पुष्पों का
जीवन की स्वप्निल स्मृतिओं में
बन विरह वेदना की सरिता
कल-कल की ध्वनि बन मै आऊंगा ..........मै आऊंगा
पग ध्वनिओं की बन मौन चाप
चुप-चाप द्वार से आंगन तक
यौवन के निश्छल गलिआरे मेंले व्यथा-कथा अपने जीवन की
अगणित पीड़ा की प्रतिमा बन
आँचल लज्जा का साथ लिए मै आऊंगा ........मै आऊंगा
वक्ष - वीथिका, ह्रदय - बेदिका के अल्हड़ अन्धियारें पन में
शर्मो-हया का बस्त्र पहन कर
ले पुष्प, दीप ,घृत,बाती हाथों में
पढ़- पढ़ गीता और रमायण
दीप जलाने ज्योति जगाने मै आऊंगा .........मै आऊंगा
अज़ीज़ जौनपुरी
very nice
ReplyDeletevery nice
ReplyDelete