व्यथा
क्रूर नियति के निष्ठुर हाथों यह कैसा व्यभिचार लिखा है
बचपन की स्वप्निल स्मृतिओं में आरुषि का संत्रास छिपा है
तुहिन कणों के विकट शीत पर हिमखंडो की कथा लिखी है
सूखे अधरों की पीड़ा पर करुण व्यथा की कथा छिपी है
जीवन के शोणित प्रवाह में करुण कथा का अश्रु लिखा है
भूख गरीबी के आँचल में महा -रुदन का भाष्य छिपा है
मेरे ही जीवन में यह कैसा आजीवन अभिशाप लिखा है
सदिओं की निर्वचन व्यथा का यह कैसा उपहास छिपा है
बचपन की पावन तरुणाई में यह कैसा अहसास लिखा है
अधरों की अविरल चुप्पी में पतझड़ का मधुमास छिपा है
नारी जीवन की ममता में यह कैसा का संत्रास लिखा है
पग पग पर क्यों अश्रुधार की चिरपीड़ा का इतिहास छिपा है
अज़ीज़ जौनपुरी
सदिओं की निर्वचन व्यथा का यह कैसा उपहास छिपा है
बचपन की पावन तरुणाई में यह कैसा अहसास लिखा है
अधरों की अविरल चुप्पी में पतझड़ का मधुमास छिपा है
नारी जीवन की ममता में यह कैसा का संत्रास लिखा है
पग पग पर क्यों अश्रुधार की चिरपीड़ा का इतिहास छिपा है
अज़ीज़ जौनपुरी
bahut khoob likha hai..esi tarah apne vichar likhte rahiye
ReplyDelete