Pages

Thursday, September 20, 2012

Kumar Anil :vytha

    व्यथा 
  


     क्रूर  नियति के निष्ठुर  हाथों यह कैसा  व्यभिचार  लिखा  है 
     बचपन की स्वप्निल स्मृतिओं में आरुषि का संत्रास छिपा  है 

    तुहिन कणों के विकट शीत पर हिमखंडो  की कथा  लिखी है 
    सूखे  अधरों की  पीड़ा पर  करुण  व्यथा  की  कथा  छिपी   है 

    जीवन  के शोणित  प्रवाह में करुण  कथा का  अश्रु  लिखा  है 
    भूख  गरीबी  के आँचल  में   महा  -रुदन  का  भाष्य  छिपा है 

    मेरे ही जीवन  में  यह  कैसा  आजीवन  अभिशाप  लिखा  है 
    सदिओं की  निर्वचन  व्यथा का  यह कैसा  उपहास  छिपा  है 

    बचपन  की पावन  तरुणाई  में  यह कैसा  अहसास  लिखा है
    अधरों की  अविरल  चुप्पी  में पतझड़  का  मधुमास छिपा है 

    नारी  जीवन  की  ममता  में यह  कैसा  का  संत्रास  लिखा है
    पग पग पर क्यों अश्रुधार की  चिरपीड़ा का  इतिहास छिपा है  

                                                        अज़ीज़ जौनपुरी 
    

    
   

1 comment: