साथ
गर वक्त देता साथ तो मै, वक्त की चूलें हिला देता
मुकम्मल मायने ज़ज्बात के, वक्त को भी बता देता
चिलचिलाती धूप में बन पत्थरों की चीख़, यह दिखा देता
ये जिंदगी है मंजिलों से, पता मंज़िल का बता देता
हों रास्ते कितने भी कटीले क्यों न,रास्तों को भी जता देता
हिम्मत से बवण्डर को दबा एक नया इतिहास बना देता
है जो लिखावट कातिले तक़दीर की उसको भी मिटा देता
जिंदगी की खामोशिओं को इक नयी आवाज़ बना देता
तनहा, उदास, जिंदगी को मायने महफ़िले रोशन बता देता
दर्द जो अंबार होने लग गये हैं बन आग उनको जला देता
यातनाओं के सफ़र पर बेफ़िक्र हो खुश्बुए चंदन लगा देता
अज़ीज़ जौनपुरी
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज रविवार (2-09-2012) के चर्चा मंच पर भी की गई है!
सूचनार्थ!
बहुत ओजपूर्ण रचना अजीज जौनपुरी जी की बहुत खूब सांझा करने के लिए आभार
ReplyDeletebahut khoob !!!
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