स्मृति
मेरी स्वप्निल स्मिरितियों में
यह कैसा इतिहास लिखा है
अपने पन के केसरिया रंग में
बचपन का एहसास छिपा है
इन्द्रधनुस की पृष्ठ भूमि में
यह कैसा मधुमास लिखा है
फागुन के इस बसंती पन में
जीवन का मीठास छिपा है
मथुरा की पावन चंचलता में
यह कैसा आभास लिखा है
गोकुल की सकरी गलिओं में
महारास का भाष्य छिपा है
तुलसी के इक रामायण में
यह कैसा संत्रास लिखा है
कैकेयी के कोप भवन में
सीता का बनबास छिपा है
सारनाथ के अवशेषों में
सारनाथ के अवशेषों में
यह किसका संदेस लिखा है
जीवन की हर व्यथा-कथा में
गौतम का सन्यास छिपा है
जीवन की हर व्यथा-कथा में
गौतम का सन्यास छिपा है
अज़ीज़ जौनपुरी
बहुत खूब लिखा है !
ReplyDeleteवाह....
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत....
जीवन की हर व्यथा-कथा में
गौतम का सन्यास छिपा है ...
लाजवाब...
अनु
wah,kya khoob likha hai,smritiya ji jiwan ko jivan banati hai,gautam ka sanyas, sita ka banbas aur gokul ki galio ka ras,kise ras nahi ayega,
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