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Wednesday, September 19, 2012

Kumar Anil :sharaft

    शराफ़त 

   दुखाना जख्मो का चलन नया  अब  हो गया है 
   पर,  धुलना आंसुओं से  शराफ़त की निशानी है

   बड़ा  आसान  होता  है  निगाहों  का  उठा  देना 
   झुकाना  शर्म से आँखे  शराफ़त की  निशानी है

   रुलाना फिर पोंछना आँसू चलन अब हो गया है 
   निभाना उम्र भर रिश्ते शराफ़त   की निशानी है 

   कस्मे प्यार की खाना  भुलाना बहाना हो गया है
   जख्मो को  छुपा जीना  शराफ़त की निशानी है 

  जोड़ना फिर तोड़ना रिश्ते अब ए फ़ैशन हो गया है 
  स्वार्थ की चर्बी  हटा जीना शराफ़त की निशानी है 

                                       अज़ीज़ जौनपुरी 
  

 

    


  
   
    

 

 
 

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