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Tuesday, September 18, 2012

Kumar Anil :kichad

 कीचड़ 

जब  जी  में आए एक किस्सा  बनाईये 
शराफ़त  के  नाम  पर कीचड़ उछालिये 

अच्छा  है हुनर  आपमें  इज्ज़त उतारिये 
दूसरों  की   बेटिओं  पर  ठहाके  लगाईये 

 क्या  खूब अदा है खुदा खुद को बताईये 
जब मुददा उठे शहर में तब मुँह छुपाइए 

घर बुला-बुला के अपने जहरे-खूँ पिलाईये 
पडोसिओं के घरों में  घुस  आग़  लगाईये 

ख़ुद को निज़ाम औरों को नौकर बताईये 
गर मौका  मिलेको  तो बिज़ली  गीराईये 

इस मुल्क की इज्ज़त पे न उगलीं उठाईये 
हाथों को काट दूँगा बस कीजिए रुक जाईये 


                        अज़ीज़ जौनपुरी 



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