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Sunday, September 9, 2012

Kumar Anil :chahata hun

    

चाहता हूँ 



  ज़ूनूने   इश्क  की  हद से   गुज़रना चाहता  हूँ 
  जिश्म  से  ले  रूह  तक ,  पिघलना  चाहता हूँ 

   दर्द  जख्मों  के  दुनिया से,  मिटाना चाहता हूँ 
  शौक  से  मै  ख़ुद को  यूँ  हीं  रुलाना चाहता  हूँ 

  
  साजिसे- नफ़रत  दिलों  से  मिटाना चाहता हूँ
  फकीरों  की   दुआओं  को  गुगुनाना चाहता हूँ 

 अम्न का पैगाम हर ,दिल में बसाना चाहता हूँ 
 लगा कर प्यार के पर ख़ुद को उड़ाना चाहता हूँ 

 खुशियाँ  हर  दिल में इक नई बसाना चाहता हूँ 
 प्यार को कर प्यार हर दिल को  हँसाना चाहता हूँ ?

  छाले   पावं  के  सब,   को  दिखाना   चाहता हूँ 
 जिन्दगी में प्यार की नई सरिता बहाना चाहता हूँ?

 ख़ता इक खूबशूरत कर ख़ुद को  हसना चाहता हूँ
 प्यार की तस्बीर मोहक  इक नई बनाना चाहता हूँ 


                         अज़ीज़ जौनपुरी 




  




3 comments:

  1. आपने अपने मनोभावों को शब्दों के माध्यम से बखूबी संजोया है....बहुत खूब |

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