चाहता हूँ
ज़ूनूने इश्क की हद से गुज़रना चाहता हूँ
जिश्म से ले रूह तक , पिघलना चाहता हूँ
दर्द जख्मों के दुनिया से, मिटाना चाहता हूँ
शौक से मै ख़ुद को यूँ हीं रुलाना चाहता हूँ
साजिसे- नफ़रत दिलों से मिटाना चाहता हूँ
फकीरों की दुआओं को गुगुनाना चाहता हूँ
अम्न का पैगाम हर ,दिल में बसाना चाहता हूँ
लगा कर प्यार के पर ख़ुद को उड़ाना चाहता हूँ
खुशियाँ हर दिल में इक नई बसाना चाहता हूँ
प्यार को कर प्यार हर दिल को हँसाना चाहता हूँ ?
छाले पावं के सब, को दिखाना चाहता हूँ
जिन्दगी में प्यार की नई सरिता बहाना चाहता हूँ?
ख़ता इक खूबशूरत कर ख़ुद को हसना चाहता हूँ
प्यार की तस्बीर मोहक इक नई बनाना चाहता हूँ
ख़ता इक खूबशूरत कर ख़ुद को हसना चाहता हूँ
प्यार की तस्बीर मोहक इक नई बनाना चाहता हूँ
अज़ीज़ जौनपुरी
bahut accha likha hai
ReplyDeletedeep feelings
ReplyDeleteआपने अपने मनोभावों को शब्दों के माध्यम से बखूबी संजोया है....बहुत खूब |
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