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Saturday, September 15, 2012

Kumar Anil :danav


  दानव 


दानव घर में आ गया  लिए हाँथ मे तेल 
रोज जलाता  बेटियाँ  करता घर में खेल 

करता  घर में  खेल रोज अर्थी  उठवाता  
सास ससुर को बांध रोज जेल भेजवाता  

भेजवाता है जेल रोज है घर को जलवाता 
बन दहेज़ का नाग आज सब को रुलवाता 

 रुलवाता है रोज कचहरी थाने के घुमवाता
करवाता अपमान रोज है  जूते  खिलवाता 

कहें अज़ीज़  कविराज  सुनो हे  भैया  बाबू 
बदलो अपने चाल ढाल लो कर खुद पर काबू

पूरी दुनिया में है  भारत की इज्जत लुटवाता  
 मर्यादाओं के देस पर है यह थू -थू करवाता  
   


                               अज़ीज़ जौनपुरी 


                                





  




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