चिट्ठियाँ
न जाने कहाँ से आ गयीं चिट्ठियां
बोलती चिट्ठियां डोलती चिट्ठियां
हंसती-हंसाती,फिर रुलाती चिट्ठियां
न जाने कहाँ से आगयी .........................
हर गली का पता पूछतीं चिट्ठियां
पर लगी चिट्ठियां पर कटी चिट्ठियां
पढ़ी चिट्ठियां अनपढ़ी चिट्ठियां
न जाने कहाँ से आगयी ..............................
गुदगुदाती चिट्ठियां बुदबुदाती चिट्ठियां
आधी ,अधुरीं, मुक्कमल चिट्ठियां
गुनगुनाती चिट्ठियां चहचहाती चिट्ठियां
न जाने कहाँ से आगयी .................................
यहाँ की चिट्ठियां वहां की चिट्ठियां
जगती चिट्ठियां जगाती चिट्ठियां
आज खोली पिटारी गजब हो गया देखते-देखते भक उड़ गईं चिट्ठियां
बिन कहे सब कह गई चिट्ठियाँ
क्यों न जाने कहाँ गुम हो ...............................
अज़ीज़ जौनपुरी
गुदगुदाती चिट्ठियां बुदबुदाती चिट्ठियां
आधी ,अधुरीं, मुक्कमल चिट्ठियां
गुनगुनाती चिट्ठियां चहचहाती चिट्ठियां
न जाने कहाँ से आगयी .................................
यहाँ की चिट्ठियां वहां की चिट्ठियां
जगती चिट्ठियां जगाती चिट्ठियां
शर्माती चिट्ठियां बलखाती चिट्ठियां
न जाने कहाँ से आगयी ..................................आज खोली पिटारी गजब हो गया देखते-देखते भक उड़ गईं चिट्ठियां
बिन कहे सब कह गई चिट्ठियाँ
क्यों न जाने कहाँ गुम हो ...............................
अज़ीज़ जौनपुरी
hamari chitthiyan or tumhari chitthiyan,hajaron bar padhi chitthiyan ,aaj bhi dil me dhdkti chitthiyan,mhabbat ki dastane gazal chitthiyan..........sb yad dila deti hai chitthiyan.....
ReplyDeleteआज जब की नेट का दौर है ... चिट्ठियों की रचना पढ़ना बहुत ही सुखद लगा ... मन को छूती रचना ...
ReplyDeletebehad khoob..lekhani uttam hai aapki
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