हाशिया
सफ़े पे कुछ तो हाशिया रहने दो ,
मुझको भी अपनी बात लिखने दो
ज़ुबां पे इस तरह न लगा ताला ,
दौरे जहाँ की कुछ तो कहने दो
तुझे कसम है खुदा की ए बेख़ुदी ,
बात ग़ैरत की कुछ मुझको करने दो ।
ज़लालत की ज़िन्दगी छोड़ो भी ,
खुलकर बगावत की बात करने दो ।
ए दोस्त !तूँ, इतना ना समझ न बन ,
मशाल बनके जलो ,रोशनी तो होने दो ।
अज़ीज़ जौनपुरी
सफ़े पे कुछ तो हाशिया रहने दो ,
मुझको भी अपनी बात लिखने दो
ज़ुबां पे इस तरह न लगा ताला ,
दौरे जहाँ की कुछ तो कहने दो
तुझे कसम है खुदा की ए बेख़ुदी ,
बात ग़ैरत की कुछ मुझको करने दो ।
ज़लालत की ज़िन्दगी छोड़ो भी ,
खुलकर बगावत की बात करने दो ।
ए दोस्त !तूँ, इतना ना समझ न बन ,
मशाल बनके जलो ,रोशनी तो होने दो ।
अज़ीज़ जौनपुरी
बहुत बढ़िया कता!
ReplyDeleteश्रावणीपर्व और रक्षाबन्धन की हार्दिक शुभकामनाएं!
sadar aabhar ke sath shravni parv evm rkshabandhan ki hardik subhkamna
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