सिलसिला :ईद
चलो अब ईदपर इकनया सिलसिला पैदा करें
रास्ते गर न हों तो भी नया रास्ता पैदा करे
कल चाँद आ के मुझसे चुपके से कह गया
चलो,इस चमन में अब एक ख़ुशी पैदा करें
अपने ही खातिर जीए तो क्या गज़ब किये
चलो, हर के दिल में नई रौशनी पैदा करें
रिश्तों से अपने खुद के न कभी बेख़बर रहें
सब आदमी बने, और सब, बन आदमी रहें
नफ़रत को मिटा दिल से, बस प्यार ही करें
इक नया रिश्ता सफ़र का अब चलो पैदा करें
लबों का बन तबस्सुम रहें दिल के दहनो में
मिटा नफ़रत दिलों से नईआशिकी पैदा करें
अज़ीज़ जौनपुरी
बहुत खूब ---बेहतरीन भावयुक्त प्रस्तुति शुभकामनाएं
ReplyDeletebahut umda hai
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