इरादा
मोड़ कर हर रास्ता अपने मकां की ओर
निजामियत के हौसलों को तुमने बता दिया
राह पर काबिज हजारों पत्थरों को तोडकर
अपने फौलादी इरादों को तुमने जता दिया
खामोशिओं को तोड़ ज़ेहाद का नारा दिया
कर मुनादी मकसदों की तुमने जता दिया
एक भूखे को खिला कर चंद ताजी रोटियाँ
यातनाओं के सफ़र पर कुंकुम लागा दिया
अज़ीज़ जौनपुरी
मोड़ कर हर रास्ता अपने मकां की ओर
निजामियत के हौसलों को तुमने बता दिया
राह पर काबिज हजारों पत्थरों को तोडकर
अपने फौलादी इरादों को तुमने जता दिया
रख अंधेरो के बदन पर एक जलता दिया
रौशनी की उम्मीद को तुमने जगा दियाखामोशिओं को तोड़ ज़ेहाद का नारा दिया
कर मुनादी मकसदों की तुमने जता दिया
एक भूखे को खिला कर चंद ताजी रोटियाँ
यातनाओं के सफ़र पर कुंकुम लागा दिया
अज़ीज़ जौनपुरी
ईद मुबारक !
ReplyDeleteआप सभी को भाईचारे के त्यौहार की हार्दिक शुभकामनाएँ!
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इस मुबारक मौके पर आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (20-08-2012) के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
very nice!
ReplyDeletetoo good..bahut he umda likha hai aapne guruji!
ReplyDeleteBahut accha likha hai aapne..
ReplyDeleteबहुत सुंदर !
ReplyDeleteचलते हैं सुना था बहुत रास्तों पर लोग कुछ
रास्तों को ही मोड़ देते हैं कुछ ये भी सुन लिया !
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा दीजिये टिप्पणी देने वाले को आसानी हो जायेगी ।
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