संसद
जिस देस संसद में जूते रोज उछलते हों
उस देस की संसद में कातिल ही मिलेंगे
जिस देस की संसद में घोटाले ही घोटाले हों
उस देस की संसद में तो इमान ही बिकेंगे
जिस देस की संसद में डकैतों का हो बसेरा
उस देस की संसद में बस खून ही दीखेगें
जिस देस की संसद में अस्तिने हो फट रहीं
उस देस के संसद में अब दंगल ही मचेंगें
जिस देस की संसद से नदारत हो हिफाज़त
उस देस की संसद में सब हैवान ही मिलेंगें
जिस देस की संसद में जंज़ीरें हों खनकती
उस देस की संसद में मुजरिम ही मिलेंगें
जिस देस की संसद में सब बैठे हों शराबी
उस देस की संसद में अब ठर्रे ही बिकेंगें
जिस देस की संसद में सब विष हों उगलते
उस देस की संसद में विषधर ही मिलेंगें
जिस देस की संसद में अदब गाली में लिखे हों
उस देस की संसद में सब गली ही सुनेगें
जिस देस की संसद में इमान बिक रहा हो
उस देस की संसद में अब गाँधी ही बिकेंगें
अज़ीज़ जौनपुरी
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