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Thursday, August 23, 2012

Kumar Anil : Sansad

  संसद    


जिस देस  संसद में जूते रोज  उछलते  हों 
उस देस की  संसद में  कातिल  ही  मिलेंगे 
जिस देस की संसद में घोटाले ही घोटाले हों 
उस देस की संसद  में तो  इमान  ही  बिकेंगे 
जिस देस की संसद में डकैतों  का हो बसेरा
उस देस की  संसद  में  बस खून ही  दीखेगें 
जिस देस की संसद में अस्तिने हो फट रहीं 
उस  देस के संसद में अब  दंगल ही  मचेंगें   
जिस देस की संसद से नदारत हो हिफाज़त  
उस देस की संसद में सब हैवान ही मिलेंगें 
जिस देस की संसद में जंज़ीरें  हों खनकती 
उस देस की  संसद में मुजरिम  ही मिलेंगें 
जिस  देस की  संसद में सब बैठे  हों  शराबी 
उस देस  की  संसद में अब  ठर्रे ही बिकेंगें  
जिस देस की संसद  में सब विष हों उगलते 
उस देस  की  संसद में विषधर  ही  मिलेंगें 
जिस देस की संसद में अदब गाली में लिखे हों
उस  देस  की  संसद  में सब  गली  ही सुनेगें 
जिस देस की  संसद में  इमान बिक रहा हो 
उस  देस की संसद में अब  गाँधी ही  बिकेंगें 



                               अज़ीज़  जौनपुरी

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