पिता जी
क्यों चले गये
क्यों चले गये
कुछ कहा नहीं
कुछ सुना नहीं
आसूँ देकर
आसूँ लेकर
क्यों चले गये
क्यों चले गये
कुछ कह देते
कुछ सुन लेते
चुपके चुपके
हम रो लेते
क्यों चले गये
क्यों चले गये
कितना रोया
कुछ पता नहीं
कितना खोया
कुछ कहा नहीं
कहते कहते
रोना आया
रोते रोते कुछ
कह न सका
क्यों चले गये
क्यों चले गय .............
अज़ीज़ जौनपुरी
( "फादर्स डे" पर पिताजी को समर्पित )
क्यों चले गये
क्यों चले गये
कुछ कहा नहीं
कुछ सुना नहीं
आसूँ देकर
आसूँ लेकर
क्यों चले गये
क्यों चले गये
कुछ कह देते
कुछ सुन लेते
चुपके चुपके
हम रो लेते
क्यों चले गये
क्यों चले गये
कितना रोया
कुछ पता नहीं
कितना खोया
कुछ कहा नहीं
कहते कहते
रोना आया
रोते रोते कुछ
कह न सका
क्यों चले गये
क्यों चले गय .............
अज़ीज़ जौनपुरी
( "फादर्स डे" पर पिताजी को समर्पित )
nice poem
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