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Monday, April 21, 2014

अज़ीज़ जौनपुरी : मुश्किल सफ़र है



खामोश  राहें   हैं  मुश्किल सफ़र है
हवाओं में  पसरा  ज़हर ही ज़हर है 

न साया  कहीं  पे  न  शज़र है कहीं
शोलों की बस्ती  है जलता शहर है

सुना है दवाओं  में  मिलता ज़हर है
यहाँ तो दुआओं में  शामिल ज़हर है      

दिल  के   शहर  में   अँधेरा  बहुत है
यहाँ  खूने - जिगर में बहता ज़हर है

न रंजो-ग़म ही बचे,न बची आरज़ूएं
मोहब्बत की दरिया में बहता ज़हर है

दावा  उल्फ़त का कमज़ोर इतना के  
उल्फत की पुड़िया में बिकता ज़हर है

 न क़ीमती बची कोई सरमाये-इमा की
 दुश्मनी बिक रही  दोस्तों का शहर है 

                       अज़ीज़ "जौनपुरी"


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