लंदन की फ़ज़ाओं में
क्या हुस्न क्या अदा है लंदन की फ़ज़ाओं में
मदहोस मोहब्बत है लंदन की सदाओं में
थेम्स की नज़ाकत है , कुदरत का करिश्मा है
शोला भी है शबनम भी है लंदन की हवाओ में
हर आँख में सागर है,मय है हुश्न -ए-साज़े- तरब है
गुलनार की खुशबू है, मदहोश काफ़िर अदाओं में
हर रुखसार पे जड़े हैं सुर्खी के बहकते नगीने लाखों
बहकी हुयी तबस्सुम फिरती है,लन्दन की वफ़ाओं में
रक्से मय तेज़ करो तेज़ करो कि न हिज्र की रात रहे
ज़ाम छलकाते माहताब उतरा है लन्दन की हवाओं में
एक बात अखरती है मेरे दिल पे गुज़रती है
तहज़ीबो गंगो- ज़मन लुट गई लन्दन की हवाओं में
अज़ीज़ जौनपुरी
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि का लिंक आज सोमवार (26-08-2013) को सुनो गुज़ारिश बाँकेबिहारी :चर्चामंच 1349में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत सुन्दर भाव लिए रचना
ReplyDeleteएक बात अखरती है मेरे दिल से गुज़रती है
ReplyDeleteतहज़ीबो गंगो- ज़मन लुट गई लन्दन की हवाओं में
बात कहिये जनाब काँटा मत चुभाइए वाह
बहुत ख़ूब , लंदन की हवाओं में ख़ुशबू भी है मोहब्बत की
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत बढ़िया ...
ReplyDeleteएक बात अखरती है मेरे दिल से गुज़रती है
ReplyDeleteतहज़ीबो गंगो-ज़मन लुट गई लन्दन की हवाओं में,,,
वाह वाह !!! बहुत खूब सुंदर गजल ,,,अज़ीज़ जी बधाई..
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बहुत ख़ूब
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ReplyDeleteएक बात अखरती है मेरे दिल से गुज़रती है
तहज़ीबो गंगो- ज़मन लुट गई लन्दन की हवाओं में
याद आया वतन अपना लन्दन की हवाओं में बहुत खूब लिखा है आपने शुक्रिया आपकी टिप्पणियों का। खुश रहो आबाद रहो। लन्दन को अपनी औकात में रखो ज्यादा भाव न दो।
लंदन की गलियों जब हुशन की पाजेबें खनकती हैं ,मत पूछिये ज़नाब क्या दिल पे गुज़रती है,
ReplyDeleteकि आग लगे और आग लगे आग लगे मत पूछ हुस्नों जवानी पे हाय क्या क्या न गुज़रती है
कि भर ले अपनी बाहों में कोई जी भर के,पिघल जाये जवानी कि हद से गुज़रती है
हाय ज़िंदगी न ज़ले न आग लगे न राख हो,