तेरा शहर कितना अज़ीज़ है
सभी दोस्त हैं सभी करीब हैं तेरा शहर कितना अज़ीज़ है
तू मेरी जिंदगी की किताब है तेरा इश्क मेरा नसीब है
तू ही मेरा अक्स है तू ही मेरा आईना,तू तू ही है दिल के करीब है
तेरी जुस्तज़ू तेरा इश्क है ,तू हीं हम सफर तू हीं हबीब है
ये फासला भी कोइ फ़ासला तू दिल में है दिल के करीब है
जो तय कभी न हो सकी ये कैसी जिंदगी की ज़रीब है
तेरी चाहतें तेरी उल्फतें तू ये न पूछ कितनी अज़ीब है
तू , तेरी ख्वाहिशें, तेरी हसरतें, मेरी जिंदगीं मेरी मुजीब हैं
तू, तेरी शरारतें, तेरी इनायतें, कभी दोस्त तो कभी रक़ीब हैं
"अज़ीज़" तेरी ग़ज़ल में एक चेहरा है छुपा जो तेरे दिल के करीब है
अजीज़ जौनपुरी
तू ही मेरा अक्स है तू ही मेरा आईना,तू तू ही है दिल के करीब है
तेरी जुस्तज़ू तेरा इश्क है ,तू हीं हम सफर तू हीं हबीब है
जो तय कभी न हो सकी ये कैसी जिंदगी की ज़रीब है
तेरी चाहतें तेरी उल्फतें तू ये न पूछ कितनी अज़ीब है
तू , तेरी ख्वाहिशें, तेरी हसरतें, मेरी जिंदगीं मेरी मुजीब हैं
तू, तेरी शरारतें, तेरी इनायतें, कभी दोस्त तो कभी रक़ीब हैं
"अज़ीज़" तेरी ग़ज़ल में एक चेहरा है छुपा जो तेरे दिल के करीब है
अजीज़ जौनपुरी
सुंदर ग़ज़ल , महाेदय, पर- काेई दाेस्त है ना रक़ीब है तेरा शहर कितना अजीब है । यहाँ किससे गिला करें यहाँ सबके सर पर सलीब है ।
ReplyDeleteसुंदर ग़ज़ल
ReplyDeleteबहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (07-07-2013) को <a href="http://charchamanch.blogspot.in/“ मँहगाई की बीन पे , नाच रहे हैं साँप” (चर्चा मंच-अंकः1299) <a href=" पर भी होगी!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
वाह !!! बहुत उम्दा लाजबाब गजल,,
ReplyDeleteRECENT POST: गुजारिश,
खूबशूरत ग़ज़ल,"खुद तेरे सहर को महफूज़ रखे ,ये बच्चों की तरह हँसता बहुत है .......मैं हर लम्हें में सदियाँ देखता हूँ ,तुम्हारे साथ का इक लम्हा बहुत है
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