सिक्का उछाल आया
उँगलियाँ ख़ुद पे उठा ख़ुद से सवाल कर आया
लिख सच को सच एक नया बवाल कर आया
रौशनी मयस्सर न हुई ज़िन्दगी की राहों को
खुली हकीकत तो इक नया सवाल कर आया
जिस्म के बाज़ार में लग रहीं थीं बोलियाँ
खुली हकीकत तो इक नया सवाल कर आया
जिस्म के बाज़ार में लग रहीं थीं बोलियाँ
एक खोटा सिक्का मैं भी उछाल कर आया
ज़ुल्म की बुनियाद पर बन रहा था इक महल
सिर्फ़ दिवारें नहीं चूलें तक हिला कर आया
न थी इब्तदा की ख़बर न इन्तहा मालूम मुझे
आज तू भी अज़ीज़ इक नया कमाल कर आया
सिरफिरों की इस अज़ीब दुनियाँ में आज
न जाने आज़ किस-किस का ख़याल कर आया
ज़ख्म थे ,खूँ की दरिया थी,हर गाम पे पहरा था
कूचा -ए -कातिल में ख़ुद को हलाल कर आया
राहे - फ़कीरी मुस्किल हो गई आज़ दुनियाँ में
देख एक फ़क़ीर को रोता ख़ुद से सवाल कर आया
अज़ीज़ जौनपुरी
सिर्फ़ दिवारें नहीं चूलें तक हिला कर आया
न थी इब्तदा की ख़बर न इन्तहा मालूम मुझे
आज तू भी अज़ीज़ इक नया कमाल कर आया
सिरफिरों की इस अज़ीब दुनियाँ में आज
न जाने आज़ किस-किस का ख़याल कर आया
ज़ख्म थे ,खूँ की दरिया थी,हर गाम पे पहरा था
कूचा -ए -कातिल में ख़ुद को हलाल कर आया
राहे - फ़कीरी मुस्किल हो गई आज़ दुनियाँ में
देख एक फ़क़ीर को रोता ख़ुद से सवाल कर आया
अज़ीज़ जौनपुरी
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति . यद् आ रहा है कुछ ऐसा ही लिखा है कि " एक चिंगारी तअस्सुब किनज़र आती है ,देखना ये है कहां उसका निशाना होगा ,अपने माजी को भुला देना वरना,चोट फिर उभरेगी दर्द पुराना होगा ..." (मो .ए. साहिल )
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा आज बृहस्पतिवार (04-07-2013) को सोचने की फुर्सत किसे है ? ( चर्चा - 1296 ) में "मयंक का कोना" पर भी है!
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत ही बेहतरीन गजल...
ReplyDelete:-)
bahut khub sr
ReplyDeleteअजीज साहब ग़जल का मीटर तो ठीक करिए। यह का़फिया और रदीफ़ अनुशासन तोड़कर जाने कहाँ-कहाँ भटक रहे हैं।
ReplyDeleteमाफ़ कीजिएगा, नाम खराब न हो जाय इसलिए बता दिया।
मैं गजलों की पच्चीकारी व नक्कासी से अपना सरोकार कम और विचारों से ज्यादा रखता हूँ , ये गजल है या कविता या फिर एक विचार इसे निश्चित करना आप विद्वानों का कार्य है जो समझ सका वो कर दिया एक बार पुनः अवलोकन कर गल्तिओन पर क्या कहाँ होना चाहिए स्पष्ट उल्लेख कर दें तो बहुत आभारी रहूँगा स्वं आदरणीय त्रिपाठी जी ,सादर आभार
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