तोला नहीं करते
राज़े मोहब्बत को खोला नहीं करेते
इमाने - मोहब्बत को तोला नहीं करते
वो नमाज़े मोहब्बत थी ये नमाज़े अलबिदा है
हर चंद कि दाने को खोला नहीं करते (1)
दिल किस कदर शगुफ़्ता हुआ ये दिल की बात है
महसूस किया करते हैं बोला नहीं करते
साक़ी गई बहार गई दिले में है कि हाय बस
वो जो चराग बुझ गये हैं उन्हें शोला नहीं करते
न सर से सौदा गया न दिल से तमन्ना गई
अल्लाह के बंदे को काफ़िर बोला नहीं करते
फलसफे रह गये जिन्दें ज़िन्दगी ने राह पकड़ी
रुखशते बेमेहर को क्या सलाम बोला नहीं करते
(1) इक़बाल
(1) इक़बाल
अज़ीज़ जौनपुरी
बेहतरीन रचना .ॐ शान्ति .
ReplyDeleteबहुत खूब !
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ***दिल किस कदर शगुफ़्ता हुआ ये दिल की बात है ,महशूस किया करते है बोला नहीं करते
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